कुदरत ने मर्द और औरत में फर्क कम दिए और समानताएं ज्यादा, फर्क है तो बस प्रजनन का, उन्होंने यह नहीं बताया कि नौकरी कौन करेगा और खाना कौन बनाएगा:- स्वयंसेवयिका कल्पना बम्बोडे़
बालोद। शासकीय आदर्श कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालोद में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको व्दारा महावारी प्रबंधन व जागरूकता के ऊपर सर्वे कर प्रकाश डाला गया ताकि छात्रों को इस विषय से जुड़ी जानकारी और भ्रांति को दूर कर उन्हें जागरूक कर सके। और माहवारी के दिनों में महिलाएं व बालिकाएं स्वयं को स्वतंत्र और स्वास्थ्य अनुभव कर अपने आप का ख्याल रखने में तो सब सक्षम रहे
, साथ ही साथ हमारे भाइयों समाज के पुरुषों को भी इन दिनों की तकलीफों से रुबरु करवाया जा सके, इस चीज का भी प्रयास कर रहे, और जिन्हें इनकी जानकारी नहीं रह पाती उन्हें भी इसकी सामान्य जानकारी हो। यह सर्वे एक क्वेश्चन पेपर फार्म के जरिए किया जा रहा है। जिसमें मानवीय विचारों के ऊपर माहवारी विषय से लेकर प्रश्न है।
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छात्रों को इस विषय में जानकारी देते हुए उन्होनें विकासवादी, नारीवादी सामाजिक कार्यकर्ता कमला बासीन के वाक्य पर प्रकाश डाला जिसमें उन्होने लिखा था कि कुदरत ने मर्द और औरत में फर्क कम दिए हैं और समानताएं ज्यादा, मर्द और औरत में फर्क केवल प्रजनन के लिए दिए हैं यह कुदरत ने नहीं बताया था कि कौन नौकरी करेगा और कौन खाना बनाएगा।
मानव ने अपनी सुविधा के अनुसार ये फर्क खुद बनाये है, बाद में यही चीज प्रथा बन जाती हैं, माहवारी के समय अभी भी कई जगहों में कुप्रथाऔं को माना जाता है जो इस सर्वे के माध्यम से हमें पता चला हैं, कारण पूछने पर यही जवाब मिलता है की ये पहले से मानते आ रहे हैं। सही कारण हमें नहीं पता। माहवारी जागरूकता कार्य में राष्ट्रीय सेवा योजना कि वरिष्ठ स्वयंसेवयिका मनीषा राणा, डिपेश साहू, जयकिशन साहु, चिरंजीवी साहू, मुस्कान व विद्यालय के प्राचार्य प्रो राकेश तावड़े व विद्यालय के छात्रों की उपस्थिति व सहयोग सराहनीय रही।