नालो के जल स्तर में हो रही है निरंतर वृद्वि
नरवा योजना से खारून नदी के सहायक
लगातार नरवा उपचार से सिंचाई भूमि का औसत
रकबा 232.30 से बढ़कर 248.00 हेक्टेयर तक पहुंची
बालोद । राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत नरवा विकास के तहत जिले से निकलने वाली प्रदेश के मुख्य नदियों में से एक खारून नदी के बालोद जिले के सहायक नदियो में रीज-टु-वेली पद्वति से लगातार की जा रही उपचार का कार्य इन नालों के भू-जल स्तर को वृद्वि करने में जीवनदायिनी साबित हो रही है।
इस योजना के फलस्वरूप जिले में बहने वाली खारून नदी के तीनो सहायक नदी आमानाला, देवरानी-जेठानी एवं चोरहा नाला तथा इनके 9 सहायक नालो के जल स्तर के वृद्वि हेतु वाटर शेड पद्वति से लूज बोल्डर चेक, गेबियन चेक, अरदन गलीप्लग, वृक्षारोपण, कच्ची नाली निर्माण, ब्रशवुड चेकडेम, स्टापडेम तथा डाईक वाल जैसे निर्माण कार्य किये जा रहे है। गुरूर विकासखण्ड के सभी नालो के जलस्तर में वृद्वि हेतु किये जा रहे लगातार उपायांे के फलस्वरूप विकासखण्ड के सिंचाई भूमि का औसत रकबा 232.30 हेक्टेयर से बढ़कर वर्तमान मे औसत रकबा 248.00 हेक्टेयर हो गई है। जिससे लगभग 228 किसानो की सिंचाई क्षेत्र में वृद्वि हुई है। इसके साथ ही विगत तीन वर्षो में कुओं तथा ट्यूबेल के भूमिगत तथा सतही जलस्तर मंे भी उच्च स्तर में वृद्वि दर मापी गई है। नरवा उपचार से गुरूर विकासखण्ड के औसत जल स्तर में भी लगातार वृद्वि हुई है।
उल्लेखनीय है कि गुरूर विकासखण्ड में 09 नालो के उपचार हेतु प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसमें कुल 40 नरवा आईडी शामिल है। जिसकी 22.74 किलोमीटर वन क्षेत्र तथा 57.20 किलोमीटर राजस्व क्षेत्र सहित कुल लंबाई 79.94 किलोमीटर है। इसका कुल कैचमेंट एरिया 6400.76 हेक्टेयर वनक्षेत्र एवं 7862.24 हेक्टेयर राजस्व क्षेत्र सहित 14263 हेक्टेयर है। इन नालो में कुल 404 निर्माण कार्य प्रस्ताव में प्रावधानित किया गया है, जिसमें कुल 274 कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति तथा शेष कार्य वन विभाग से प्रस्तावित हैं। इस तरह से राज्य शासन की विशेष प्राथमिकता वाले नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के फलस्वरूप खारून नदी के सहायक नालों तथा इन सहायक नालों के भी सहायक नालों के स्वरूप में आमूलचूल परिवर्तन हो गया है। इन नालों के जलस्तर में वृद्धि होने से आसपास के खेतों में खेती के लिए समुचित मात्रा में पानी उपलब्ध हो रहा है। जिसके कारण खरीफ एवं रबी दोनो सीजन में बारहमासी फसलें लहलहा रही है। किसान अपने खेतों में धान एवं गेहूॅ के अलावा सब्जी-भाजी का भी पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर रहे हैं, जिसके कारण किसानों के आमदनी में भी वृद्धि हो रही है। इस तरह से छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा योजना किसानों के खेती-किसानी को सुधार कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अत्यंत कारगर योजना साबित हो रहा है।