गंगोरीपार मुक्तिधाम दे रहा जीवन की सच्चाई का संदेश, सरपंच ने कराया ऐसा सुंदरीकरण, बना आकर्षण का केंद्र

गुरुर। ब्लाक के गांव गंगोरीपार का यह मुक्तिधाम दिखने में तो दूर से आपको आम जैसा ही लगेगा। जैसे हर गांव में होता है। लेकिन जब आप इसके नजदीक जाएंगे तो यहां की दीवार पर लिखा संदेश आपकी आंखें खोल देगा। जो पंक्तियां लिखी है पूरी तरह से जीवन की सच्चाई है। जो लोगों को जीवन पर्यंत समझ नहीं आ पाती। यहां जो स्लोगन लिखी है मुक्तिधाम पहुंचने वाले लोग जब पढ़ते हैं तो आत्ममंथन करने लगते हैं। लोग सोचते हैं कि 1 दिन हमारा भी तो यही हश्र होगा। गांव की नई सोच रखने वाली सरपंच आशा देवदास ने यह पहल की है।

जरा आप भी पढ़िए आखिर यहां लिखा क्या है?

मौत की गाड़ी में जिस दिन सोना होगा, उस दिन ना कोई तकिया, न कोई बिछौना होगा, साथ होगी दोस्ती की कुछ यादे और श्मशान का एक कोना होगा, और वहाँ लिखा होगा, मंजिल तो तेरी यही थी, बस जिदंगी गुजर गई, यहाँ आते आते, क्या मिला तुझे, इस दुनिया से अपनों ने ही जला दिया, यहाँ से जाते जाते।

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