रिव्यू-नवा बिहान को पहले दिन से ही मिला अच्छा रुझान, दर्शकों ने कहा- असली जीवन शैली से प्रेरित है फिल्म की कहानी, देखिये क्या है खासियत

बालोद। बहुप्रतीक्षित और बहुचर्चित छत्तीसगढ़ी फिल्म नवा बिहान बालोद सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न सिनेमाघरों में 11 नवंबर से रिलीज हो गई। इस फिल्म को देखने को लेकर लोगों में उत्सुकता काफी बनी हुई है। पहले दिन से ही दर्शकों का इसे खूब सारा प्यार मिला। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भी यह फिल्म अच्छी खासी चलेगी। जैसा कि इस फिल्म के ट्रेलर के जरिए फिल्म निर्माता रवि बहादुर सिंह कुछ अलग हटकर कहानी का जिक्र कर रहे थे। वैसा ही फिल्म में देखने को मिला है। दर्शकों ने फिल्म को काफी सराहा है और यह कहा जा रहा है कि खासतौर से बस्तर क्षेत्र में जो जीवन शैली होती है। नक्सलियों के साए में लोग रहते हैं। पुलिस कैसे इन चुनौतियों का सामना करती है। यह सब भी एकदम करीब से इस फिल्म में दिखाया गया है। नक्सली समस्या के बीच पनपे एक अटूट प्यार के रिश्ते को भी बखूबी से पेश किया गया है। पठार और मैदान का मेल इस फिल्म में देखने को मिलता है। फिल्म में नक्सलियों की गतिविधियों को भी अच्छे से फिल्माया गया है। तो किस तरह ग्रामीण अगर पुलिस का साथ देते हैं तो मुखबिरी के शक में कैसे उनकी हत्या तक कर दी जाती है यह भी दर्शाया गया है। कैसे नक्सलियों के साये में गांव वाले गुजर-बसर करते हैं। अगर ग्रामीण साथ नही देते हैं मौत के घाट उतार देते हैं। इन सब खतरों के बीच कैसे एक नीला नाम की लड़की की प्रेम कहानी फलती फूलती है। एक अलग हटकर कहानी देखने को मिल रहा है। बस्तर और छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्र की संस्कृति का मिश्रण इसमें है। दर्शकों ने कहा कि जब हम फिल्म देख रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि हम बस्तर की इस दुनिया में खो गए हैं। फिल्म का आधा हिस्सा पूरे बस्तर क्षेत्र का ही दिखाया जाता है। जहां पर वहां की बोली भाखा, संस्कृति को भी बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। फिल्म का एक डायलॉग बस्तर का जंगल जितना बाहर से सुंदर है, उतना अंदर से खतरनाक भी है। इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों को महसूस भी होता है कि कैसे खासतौर से घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की जिंदगी कितनी चुनौती भरी होती है। फिल्म के गाने काफी पसंद किए जा रहे हैं। बिना किसी फूहड़ता के फिल्म को साफ सुथरे तरीके से फिल्माया गया है। दर्शकों ने यह भी कहा कि इस फिल्म को देखकर ऐसा लग नहीं रहा था कि हम कोई छत्तीसगढ़ी फिल्म देख रहे हैं। किसी हिंदी फिल्म जैसा आनंद लोगों को महसूस हो रहा था।

बालोद के पाची सिनेमा में अतिथियों ने किया फीता काटकर पहले शो का शुभारंभ

बालोद के पाची सिनेमा में उक्त फिल्म प्रदर्शित हुई है। पहले शो का शुभारंभ नगर के प्रमुख गणमान्य अतिथियों व फिल्म के निर्माता रवि बहादुर सिंह के परिजनों ने किया। इस दौरान अतिथि के रूप में प्रमुख रूप से भाजपा के प्रदेश मंत्री राकेश यादव , वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत जैन , वरिष्ठ कांग्रेस नेता डोमेन्द्र भेड़िया सहित गीता ठाकुर ( कहानीकार सोनू ठाकुर की मां), थानसिंह ठाकुर, देवेन्द्र ठाकुर, पालक ठाकुर, गिरधर पटेल, उमा पटेल, प्रभु पटेल अध्यक्ष् ग्राम समिति झलमला आदित्य दुबे, छगन पटेल, विष्णु सिंह, राकेश राजपूत, मुकेश पटेल, अविनाश कुमार, उमेश सिंह (निर्माता रवि के पिता), ब्रम्हदेव पटेल, विकास , अभिनेता नरेंद्र काबरा, अभिनेता सुरेश दसानी छन्नू साहू, वैभव सिंह, हिमाशु देशमुख गेश्वर, डेविड अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

अभिनेता ,अभिनेत्री व निर्माता ने देखें रायपुर में पहली शो

इस फिल्म के निर्माता झलमला के रहने वाले रवि बहादुर सिंह हैं। फिल्म को काफी प्यार मिला है। अभिनेता आकाश सोनी फिल्म में दीपक नाम के किरदार में है तो अभिनेत्री इशिका यादव नीला नाम के किरदार में है। अभिनेता अभिनेत्री सहित अन्य कलाकारों ने रायपुर के प्रभात टॉकीज में पहला शो देखा।

फिल्म में है बालोद से बीजापुर तक की कहानी

इस फ़िल्म में बालोद से बीजापुर तक की कहानी है। फिल्म में बालोद, झलमला का जिक्र है। फिल्म की कहानी बालोद से बीजापुर तक की ही देखने को मिलती है। बालोद के जंगलों की तुलना बीजापुर के जंगलों से होती है। जिसमें जमीन आसमान का फर्क है और फिल्म की कहानी भी कुछ इसी तरह से आगे बढ़ती है जो आपको सिनेमाघर में जाकर ही देखकर आनंद लेना चाहिए। झलमला से लगे चरोटा गौठान को भी इसमें दिखाया गया है। जिसमें एक गोबरमैंन के किरदार के जरिए सरकार के गोधन न्याय योजना को भी खास तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बेलौदा गांव में भी शूटिंग के नजारे हैं।

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