अयोध्या से पहुंचे महाराज, भागवत कथा में बताई महाकाली उत्पत्ति की कथा

देवरीबंगला /बालोद। हम नदी के दोनों किनारों पर एक साथ खड़े नहीं हो सकते ठीक इसी तरह माया और राम एक साथ नहीं मिलते। मानव जाति में त्याग, प्रेम और सम्मान अब पहले जैसा नहीं रहा। उक्त विचार सिर्राभाठा में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के दौरान अयोध्या के संत आचार्य जालेश्वर महाराज ने कथा के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि लोगों के पास नशे के लिए पैसा है ,दवाई और कपड़ों के लिए पैसा नहीं है। ऐसे लोग दरिद्र है। हम भी नशे में हैं काम, क्रोध, मद, लोभ, पद, प्रतिष्ठा, धन के नशे में हैं। यह नशा भी बहुत खतरनाक है। हम लोग भ्रम में है कि बढ़ रहे हैं। बल्कि हमारी उम्र दिनोंदिन कम हो रही है। प्रतिदिन हमारा समय घट रहा है। महापुरुष हमें जगाने का काम करते हैं। अपने जीवन को दिव्य बनाइए। दुनिया में मां का अस्तित्व सर्वोपरि है अभी देवता 9 दिन मां की सेवा में लगे रहते हैं। नव दुर्गा की आराधना सारे ब्रह्मांड में होती है। नवमी को सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है। माता संपूर्ण सिद्धि को प्रदान करती है। आचार्य श्री ने बताया कि लोग जहां स्वार्थ होता है वहां परंपरा को जोड़ देते हैं। प्राचीन परंपराएं अद्भुत थी। गोपालन करे, माता पिता की सेवा करे और भूखे को भोजन कराएं। साधना करो तो मंत्र में शक्ति आती है किसी को सताने के लिए यह शरीर नहीं बना है जीव को मत सताओ। राक्षसों का काम है जीव हत्या। आज लोग जीव जंतुओं को मार कर खाते हैं। उनका जीवन सुखमय नहीं रहता। आचार्य जी ने मणिदीप वर्णन तथा महाकाली उत्पत्ति की कथा सुनाई। देवांगन परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के आयोजक आनंद कुमार देवांगन, रामकुमारी देवांगन, शोभाराम, चंद्रिकाप्रसाद, उषादेवी देवांगन है।

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