बालोद/ डौंडी। वनांचल डौंडी विकासखंड के मालिपानी में अनवरत बह रही है अमृत रूपी जल। यह जलधारा व धार्मिक स्थल बालोद झलमला से दक्षिण की ओर 18 किमी आमाबाहरा से महज 8 किमी की दूरी पर बीहड़ जंगल पहाड़ व नदी से घिरे बीचो बीच स्थित है। वर्तमान में एक छोटा सा शिवालय और छोटा सा प्राकृतिक जल के कुंड है। जहां पानी बारह माह रहते हैं। और यह क्षेत्र खूंखार वन्य प्राणियों का डेरा है। कभी कभी जानवरों के आवाज सुनाई देते हैं।अमृत कुंड के आस पास जहरीले सर्प घूमते हुए जो कुण्ड की रक्षा करते हैं।और नसीब वालों को दिखाई देते हैं। इस कुंड के पानी आयुर्वेदिक अमृत के समान है। कई असाध्य रोग इसके पानी को लगाने या इससे स्नान करने से दूर हो जाते हैं। क्षेत्र में वनौषधि पाए जाते हैं जिसका उपयोग स्थानीय वैद्यराज विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए करते हैं। इस स्थल में आने से मन शांत व वातावरण मनमोहक लगता है। कहा जाता है कि यह स्थल 60 वर्ष पूर्व तपस्वी साधु बाबा राम रहते थे। उनके स्वप्न में अमृत कुंड में साक्षात मा भगवती गंगा सोनादेवी विराजमान दिखाई दिए। स्थानीय वैद्यराज कन्हैय्या लाल घोडापठिया, शंकर गावड़े, व पुजारी सोमनाथ गोटा देखभाल करते हैं। इन्ही कई विशेषताओं लिए यह स्थल माली पानी कई दशकों से पिछड़ा व जीर्ण शीर्ण अवस्था मे दिखाई पड़ता है। शासन के पर्यटन व संस्कृति विभाग से मदद की महती आवश्यकता है।
ये समस्या है यहां की
(1) इस स्थल में शकुशल जाने के लिए ग्राम पचेड़ा से कंजेली मार्ग निर्माण इसी बीच सूखा नाला है जहाँ पुलिया निर्माण की आवश्यकता है।
(2) स्थल में विद्युतीकरण, समतलीकरण,प्रवेशद्वार,मंगलभवन,यज्ञशाला,ज्योति कक्ष,निर्माण की आवश्यकता है।
(3) क्षेत्र में फैले 10 एकड़ भूमि पर वन के बीच औषधि पौधा रोपण की आवश्यकता है।
ग्रामीण खुद कर रहे प्रयास
इस स्थल को जय सरना देव् 12 गाँव अमृत कुंड मालिपानी समिति ऑडग़ांव संवारने में जुटे हैं।ताकि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा व युवाओं को रोजगार मिल सके।