बालोद। ग्राम डेंगरापार( कसही) के रहने वाले 32 वर्षीय राधेश्याम नेताम की संदिग्ध मौत बलौदा बाजार के भाटापारा ग्रामीण थाना क्षेत्र में 2 दिन पहले हुई है। जिसके शव को पीएम के बाद गृह ग्राम डेंगरापार लाया गया। भाटापारा ग्रामीण थाने की पुलिस का कहना है कि यह आत्महत्या का केस है। बाकी जांच चल रही है। मृतक राधेश्याम की लाश उन्हें रेलवे ट्रैक पर मिली थी। सिर पर गंभीर चोट थे। जिससे यही माना जा रहा है कि उसने ट्रेन के आगे या साइड से कूदकर जान दे दी। हालांकि परिजन अभी इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं है। उन्हें पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। उन्हें मामला संदिग्ध भी लग रहा है। क्योंकि मृतक राधेश्याम रायपुर में ड्राइवरी का काम करता था। वह भाटापारा क्षेत्र में क्यों गया था। यह सब अभी जांच का विषय है। अगर उसे आत्महत्या ही करनी थी तो वह जहां काम करता था रायपुर क्षेत्र वहां भी कर सकता था। ऐसे हालात में परिजनों के बीच असमंजस में है कि राधेश्याम की मौत कैसे हुई। परिजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे। पुलिस द्वारा कहा गया है कि इसके लिए 15 दिन लगेगा। मृतक की शादी भी नहीं हुई थी। परिजनों ने बताया कि 15 साल की उम्र से ही वह रायपुर में ही काम करने के लिए चला गया था। घर भी कभी कभार आता था। अभी लॉकडाउन में कामकाज बंद था तो वह गांव अपने घर आया था। 1 हफ्ते पहले सोमवार को वह वापस रायपुर चला गया था। मृतक की मां सेवती बाई पति स्वर्गीय डोमन नेताम ने बताया कि पिछले साल ही राधेश्याम के पिता का निधन हुआ। इस गम से नहीं उबरे थे कि अब छोटा बेटा भी चल बसा। जब बेटा पिछले दिनों लॉकडाउन के दौरान घर आया था तो उसने समझाया था कि बेटा अब गांव की खेती किसानी संभालो। रायपुर में मत रहो। घर पर रहो यहां का काम कर देखो। लेकिन वह नहीं माना और कहने लगा कि लॉकडाउन में यहां भी तो कुछ काम नहीं चल रहा है। रायपुर में रहूंगा तो कुछ काम करता रहूंगा और वह दोबारा रायपुर चला गया था। हमें क्या खबर थी कि जिस सोमवार को वह घर से वापस रायपुर जाएगा दूसरे हफ्ते उसी सोमवार के दिन बेटे की मौत की खबर आएगी। दरअसल में रेलवे ट्रैक पर सोमवार की रात को भाटापारा ग्रामीण पुलिस को उसकी लाश मिली और फिर सोशल मीडिया व पुलिस थाने के जरिए बात परिजनों तक पहुंची। मंगलवार को मृतक का बड़ा भाई व गांव के अन्य प्रमुख भाटापारा गए व संबंधित थाने जाकर पीएम के बाद शव हासिल किए।
आधार कार्ड और ड्राइविंग लायसेंस के जरिए हो गई थी पहचान
जब लाश मिलने की सूचना भाटापारा ग्रामीण पुलिस को मिली और मौके पर पहुंची तो मृतक के जेब में आधार कार्ड और ड्राइविंग लायसेंस कार्ड दोनों थे। आधार कार्ड में तो रायपुर का पता था लेकिन लायसेंस के जरिए उनके मूल निवास का पता चला और मामला बालोद जिले से जुड़े होने के कारण उनके संबंधित थाना क्षेत्र सुरेगांव में सूचना दी गई। फिर सुरेगांव पुलिस द्वारा डेंगरा पार के उपसरपंच गौकरण देवदास को फोन करके बताया गया फिर बात परिजनों तक पहुंची। घटना की जानकारी परिजनों को मंगलवार को हुई। बुधवार को जब हम मृतक के घर पहुंचे तो उनकी मां भावुक होकर कहने लगी कि मेरे बेटे को पैसे कमाने का बहुत शौक था और वह बचपन से ही पढ़ाई में ध्यान ना देकर पैसों पर ध्यान देता था और इसीलिए 15 साल की उम्र में ही काम करने चला गया। पर उन पैसों की चाहत में आखिर क्या परेशानी आई कि बेटा इस तरह हमें छोड़कर चला गया। परिजन यह मानने को तैयार नहीं होते हैं कि उनके बेटे ने आत्महत्या की होगी। पुलिस की बात पर उन्हें भरोसा नहीं होता है। क्योंकि मृतक किसी तरह से कोई परेशान भी नहीं था। घर में भी वह सबसे अच्छे से बात करता था और वह स्वेच्छा से लॉकडाउन हटने के बाद वापस काम पर चला गया था। घरवालों से भी किसी तरह की कोई तकलीफ की शिकायत भी नहीं की थी। अचानक इस तरह जब उन्हें पुलिस से खबर मिली कि उनके बेटे ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी है तो परिजन विश्वास नहीं करने लगे। परिजनों को पीएम रिपोर्ट का इंतजार है ताकि सच्चाई सामने आए कि यह आत्महत्या ही है या कुछ और?