संदेह का मिला लाभ, प्रमाणित नहीं हो पाया आरोप, जिला कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट के जज ने पलटा, बच्चियों को ब्लू फिल्म दिखाने का आरोपी पिता हुआ दोष मुक्त

बालोद। पैरी निवासी एक पिता ओमप्रकाश सोनबोईर आरोप से दोष मुक्त हो गए हैं। जिला कोर्ट द्वारा उन्हें धारा 354 भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत दोषसिद्ध करते हुए 5 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। जिस पर उनकी ओर से सुश्री उमा भारती सह किशोर नारायण अधिवक्तागण ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जहां पर उनके केस की दोबारा सुनवाई हुई और सूक्ष्मता से छानबीन की गई। आरोपी को संदेह का लाभ मिला और आरोप के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले। जिसके चलते उन्हें हाईकोर्ट के जज ने दोष मुक्त कर दिया। इस संबंध में आदेश भी जारी हो गया है। आरोपी पिता पर आरोप था कि वह अपने बच्चियों को मोबाइल पर ब्लू फिल्म दिखाता है और प्राइवेट पार्ट में हाथ लगाता था। हाई कोर्ट के जज ने दोष मुक्ति के फैसले में जिक्र किया गया कि जो भी आरोप लगाए गए थे वह स्पष्ट, पर्याप्त और विश्वसनीय साक्ष्य पर आधारित नहीं थे। आरोपी की पत्नी ने नाबालिग बच्चियों से अश्लीलता, मारपीट, गाली गलौज का आरोप लगाया था। हाई कोर्ट के जज संजय कुमार जायसवाल द्वारा उन्हें दोष मुक्त करते हुए अपने फैसले में लिखा गया कि अपीलार्थी के विरुद्ध अभियोजन अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित करने में असफल रहा है। ऐसी दशा में प्रश्नाधीन निर्णय स्थिर रखें जाने योग्य नहीं पाया जाता। अतः अपील स्वीकार की जाती है और प्रश्नाधीन निर्णय अपास्त किया जाता है तथा अपीलार्थी को संदेह का लाभ देते हुए आरोपित अपराध से दोष मुक्त किया जाता है। अपीलार्थी को जेल में निरुद्ध होना बताया गया है। यदि उसकी अन्य मामले में आवश्यकता ना हो तो उसे रिहा किया जाए। फैसले के बिंदु क्रमांक 17 में लिखा गया कि जो भी आरोप लगाए गए थे उस संबंध में तथ्य संदेह से परे प्रमाणित नहीं पाया जाता है कि अपीलार्थी द्वारा अपनी नाबालिक बेटियों को ब्लू फिल्में देखाने के लिए प्रेरित कर ज़ोर दिया जाता रहा हो या ब्लू फिल्में दिखाई जाती रही हो या नाबालिग बेटियों के प्राइवेट पार्ट में हाथ लगाया जाता रहा हो। इस प्रकार अपीलार्थी की दोषसिद्धि स्पष्ट, पर्याप्त और विश्वसनीय साक्ष्य पर आधारित नहीं है। ज्ञात हो कि बालोद जिला सत्र न्यायालय द्वारा ओमप्रकाश सोनबोईर को अश्लील वीडियो दिखाकर नाबालिगो से छेड़छाड़ का आरोप था, जिसके तहत पिता ओमप्रकाश को जिला न्यायालय बालोद द्वारा 5 वर्ष का सश्रम कारावास व 3 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया गया था। जिला सत्र न्यायालय बालोद के इस फैसले को चुनौती देते हुए अपीलार्थी ओमप्रकाश के अधिवक्ता सुश्री उमा भारती साहू ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में चार्ज शीट दाखिल किया। जहां न्यायालय द्वारा बयानों और जांच पड़ताल और साक्ष्य के आधार पर बिलासपुर उच्च न्यायालय के द्वारा ओमप्रकाश सोनबोईर को इस मामले में दोषमुक्त किया।
जानिए कब का था मामला
यह मामला 16 जून 2019 को गुण्डरदेही थाना में मामला दर्ज किया गया था । जहां ओमप्रकाश सोनबोईर की पत्नी टेमिन साहू के द्वारा अपने पति ओमप्रकाश पर झूठा आरोप लगाकर फसाया गया था। जिसमें ओमप्रकाश पर अपनी नाबालिग बच्चियों को अश्लील वीडियो दिखाकर छेड़छाड़ और मारपीट का आरोप भी लगाया था। जिसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार जायसवाल की न्यायपीठ द्वारा जांच और बयानों के आधार पर अपीलकर्ता ओमप्रकाश सोनबोईर के द्वारा ऐसा किसी भी प्रकार का कृत्य करना नहीं पाया गया। जांच पड़ताल और पत्नी के बयान व नाबालिग बच्चों के बयानों के आधार पर ओमप्रकाश सोनबोईर निवासी पैरी थाना गुण्डरदेही जिला बालोद को उच्च न्यायालय द्वारा आरोपित अपराध से दोषमुक्त किया गया।