बालोद/दुर्ग – बालोद ब्लॉक के ग्राम सांकरा ज के गिलहरा परिवार के दमाद व सतनामी समाज के गौरव माने जाने वाले राधेश्याम बारले को पद्म श्री सम्मान मिलेगा केंद्र सरकार उनका नाम इस सम्मान में जोड़ा गया है जिसकी घोषणा बीती रात को जारी लिस्ट से हुई है इस घोषणा व चयन के बाद से गांव सहित पुरे सतनामी समाज में ख़ुशी का माहौल है राधेश्याम पंथी नर्तक हैं इस कला में कई राज्य देश विदेश तक में नाम कमा चुके हैं उनकी इस खासियत के कारण उन्हें इस सम्मान से नवाजा जाएगा उनका मूल निवास ग्राम, खोला पाटन है सांकरा ज के रहने वाले खिलानंद गिलहरा ने बताया डॉ राधे श्याम उनके बहन दमाद हैं हजारो पंथी दल को एकजुट करने में उनका अहम योगदान रहा है
पंथी के जरिए वे गुरु घांसीदास के सन्देश को छग ही नहीं बल्कि दुसरे राज्य व देश विदेश तक पहुंचा चुके हैं सांकरा ज के ही रहने वाले सतनामी समाज के प्रदेश संयोजक विजय बघेल ने कहा डॉ आरएस बारले ने यह सम्मान अपने उत्कृष्टतम कला व विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों का सफल आयोजन करने पर पाने जा रहे हैं. उन्होंने समाज को एक नयी दिशा देने में कामयाबी हासिल की, फलस्वरूप उन्हें सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाना हमारे समाज के लिए गौरव की बात है। इस सम्मान को आजतक हमारे समाज के किसी महान हस्ती, समाज सुधारक, कला व अन्य साधकों को प्राप्त हुए थे लेकिन डॉ आरएस बारले को यह सम्मान प्राप्त होना उनके एवं समाज के लिए बड़ी उपलब्धि व गौरव की बात है।
ज़रा उनके बारे में भी जानिए
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पंथी नर्तक डॉ. राधेश्याम बारले को देश का प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान मिलेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार देर शाम 2021 के पद्म अलंकरण की घोषणा की है। इसमें जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे सहित देश के 119 लोगों के नाम हैं। छत्तीसगढ़ से अब 16 लोगों को पद्म पुरस्कार मिल चुका है। छत्तीसगढ़ की पहचान से जुड़े लोकनृत्य पंथी के विशिष्ट नर्तक डॉ. राधेश्याम बारले का जन्म दुर्ग जिले के पाटन तहसील के ग्राम खोला में 9 अक्टूबर 1966 को हुआ। उन्होंने MBBS के साथ ही इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से लोक संगीत में डिप्लोमा किया है। डॉ. बारले को उनकी कला साधना के लिए कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ. बारले को मिले सम्मान को प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा, डॉ. बारले ने अपनी कला साधना से छत्तीसगढ़ और देश को गौरवान्वित किया है। डॉ. बारले ने पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा गुरू घासीदास के संदेशों को देश-दुनिया में प्रचारित और प्रसारित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। डॉ. बारले का चयन बाबा गुरू घासीदास के प्रति सम्मान है।