मौन तीर्थ हिंदी पीठ उज्जैन के वार्षिक अधिवेशन में बालोद जिले के धर्मेंद्र कुमार श्रवण शिक्षाशिल्पी सम्मान 2024 से नवाजे गए
बालोद। मौनतीर्थ मंगलनाथ मार्ग उज्जैन में ब्रह्मलीन मौनीबाबा के 115 वें श्रद्धापर्व के अवसर पर वार्षिक अधिवेशन में श्री मौनतीर्थ हिंदी विद्यापीठ उज्जैन मध्यप्रदेश, एम.डी. एजुकेशन सोसायटी सरायपाली छत्तीसगढ़ (पंजीकृत न्यास) व कलिंगा यूनिवर्सिटी रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी सह सम्मान कार्यक्रम ” शिक्षा शिल्पी रिफ्लेक्ट द पर्सेनालिटी ऑफ टीचर्स नेशनल कॉन्फ्रेंस कम अवार्ड सेरेमनी का आयोजन विगत 13-14 दिसम्बर 2024 को श्री मौनतीर्थ पीठ चित्रकूट गंगाघाट मंगलनाथ मार्ग उज्जैन में डॉ. पी.आर. वासुदेवन ‘शेष’ सेवानिवृत्त वरिष्ठ हिंदी अधिकारी (भारत सरकार) चेन्नई (तमिलनाडु) के मुख्य आतिथ्य डॉ. नन्दलाल मणि त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ ज्योतिष व धर्मशास्त्र के समसामयिक लेखक गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) की अध्यक्षता, डॉ. संदीप गाँधी कुलसचिव कलिंगा विश्वविद्यालय नया रायपुर (छत्तीसगढ़) ,डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ला राष्ट्रपति अवार्डी शिक्षाविद व लेखक बस्तर (छत्तीसगढ़),अमित पुरोहित मौनतीर्थ पीठ के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की भूमिका विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान अपने शोध आलेख प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के प्रथम दिवस में शिक्षण कार्य, कुशल प्रबंधन, योजना निर्माण, शिक्षा सुविधा, नेतृत्व, नियंत्रण के साथ एक सुविधादाता के रूप में एक अच्छे शिक्षक के कर्तव्य व उत्तरदायित्व का निर्वहन किस प्रकार किया जाए विषय पर चर्चा किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया। देश के विभिन्न राज्यों से चयनित 21 शिक्षकों को शिक्षा शिल्पी सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी क्रम में श्री मौन तीर्थ हिंदी विद्या पीठ सारस्वत सम्मान चयन समिति उज्जैन के द्वारा बालोद जिला से आदिवासी विकासखंड डौंडी से राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता धर्मेंद्र कुमार श्रवण सेजेस हिंदी उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खल्लारी को शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में ज्ञान ज्योति प्रज्वलित करने वाले श्रवण जी को शिक्षा शिल्पी अवार्ड 2024 से अतिथियों के करकमलो द्वारा प्रतीक चिन्ह पुस्तक व आकर्षक फ्रेमिंग उपाधि पत्र से नवाजा गया। यह सम्मान उज्जैन में हिन्दी साहित्य अनुराग, अथक परिश्रम, समाजसेवा, दृढ़ संकल्प एवं समर्पित बहुमुखी प्रतिभा से साहित्य समाज लाभान्वित हो रहा है। भारतीय संस्कृति का समाज में सदैव प्रचार-प्रसार करने हेतु तत्पर रहते हैं। जन चैतन्य रचनाकृतियों ने साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करके माँ शारदे का मान बढ़ाया है। श्रवण जी के द्वारा हिन्दी भाषा को गौरवान्वित कर साहित्यिक परम्परा का सतत निर्वहन करते हुए आगामी पीढ़ी को साहित्यिक मार्ग प्रशस्त कर गौरवमयी समृद्धि प्रदान की है। साहित्य सेवा, भाषा के संरक्षण एवं पोषण तथा साहित्य के विकास प्रचार-प्रसार में समर्पण तथा अमूल्य योगदान के लिए राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ की ओर से शिक्षा शिल्पी उपाधि प्रदान करते हुए उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं संप्रेषित किये हैं।
बालोद जिला से शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुसुमकसा की व्याख्याता ताम सिंह पारकर को भी यह सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल कुमार प्रधान द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में एम डी एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष महेंद्र पसायत,कोषाध्यक्ष मनोज प्रधान सदस्यगण धर्मेश जोशी,कुंदन पाटिल का उल्लेखनीय योगदान रहा।