2700 शिक्षकों के लिए यह शिक्षक दिवस रहा काला दिन
बालोद। संशोधन आदेश निरस्तीकरण पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। शिक्षक दिवस के मौके पर 2700 शिक्षकों को सरकार ने एकतरफा कार्यमुक्त करने कर तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान से लोगो में प्रश्न उठ रहा कि क्या शिक्षक दिवस पर शिक्षको का निरस्तीकरण उनके लिए अपमान की बात नहीं होगी? क्या विभाग के प्रमोशन में संशोधन पहली बार हुआ है?
क्या यह संशोधन निरस्तीकरण अभी बस होगा ? इसके पूर्व हुए हजारों संशोधन पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी ? ऐसे तुगलकी फरमान का भविष्य में इसका प्रकोप सभी को झेलना पड़ेगा क्योंकि अब किसी भी शिक्षक को अपने घर के आस पास विद्यालय मिले जरूरी नहीं भले ही आप के बगल का स्कूल में विषय का पद रिक्त हो लेकिन शिक्षकविहीन और एकल शाला के नाम पर दूर दराज में भेजा जाएगा । निरस्तीकरण से पीड़ित शिक्षकों का कहना है कि इतिहास में आज का दिन काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा क्योंकि जिस दिन विद्यालय में शिक्षकों का सम्मान किया जाता है वे आज काले कोट वाले लोगो के पीछे पीछे न्याय की गुहार लगाते भागते देखा गया।