छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ ने स्थानीय नौजवानों को माइंस में काम दिलाने लगाई कलेक्टर से गुहार
बालोद। छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के द्वारा दल्ली राजहरा के स्थानीय नौवजवान बेरोजगारों को दल्ली राजहरा के लौह अयस्क खदानों में रोजगार उपलब्ध कराने के संबंध में समस्या को अवगत कराते हुए, “कलेक्टर कुलदीप शर्मा” को ज्ञापन सौंपा गया। पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर, सोमनाथ उइके (अध्यक्ष सी.एम.एस.एस.), सुरेंद्र साहू (उपाध्यक्ष सी.एम.एस.एस.), इंद्रपाल सिंह (उपाध्यक्ष सी.एम.एस.एस.), हितेश डोंगरे, नीरज ठाकुर ने ज्ञापन देते बताया कि, क्षेत्रीयतावाद के मुद्दे में हस्ताक्षेप कर स्थानीय बेरोजगार नौजवान युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराई जाए। वर्तमान समय में दल्ली राजहरा के खदानों में क्षेत्रीयतावाद व पूर्ण मशीनीकरण की अवधारणा को खत्म करके बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए, स्थानीय युवाओं को उनके योग्यता अनुसार खदान में रोजगार उपलब्ध कराने के विषय पर विषेश चर्चा किया गया। वर्तमान समय में बेरोजगारी देश की एक अहम् समस्या है, दल्लीराजहरा भी उससे अछूता नही रहा है लौह नगरी देश के पैमाने पर लौह अयस्क के भण्डार के साथ-साथ भिलाई इस्पात संयंत्र के उत्पादन एवं विकास में लौह अयस्क की आपूर्तिकर्ता के नाम से जाना जाता है।लौह अयस्क समूह राजहरा के खदानों से जिस अनुपात में आयरन ओर का दोहन किया जा रहा है, उस अनुपात में क्षेत्रियतावाद के कारण स्थानीय नौजवान बेरोजगारों को रोजगार नही मिल पा रहा है। पिछले 50 वर्षो से यहाँ की खदानों से लौह अयस्क की उत्खनन की जा रही है तथा अरबो-खरबों रुपये की खनिज रॉयल्टी प्रदेश जिला एवं वन विभाग को प्राप्त होती रही है। वर्तमान समय में राजहरा खान समूह से लगभग प्रतिवर्ष 10 अरब रुपये जिसमें सिर्फ महामाया खदान से प्रतिवर्ष लगभग 3 अरब रुपये राज्य सरकार व बालोद जिला एवं वन विभाग को प्राप्त होती है। जिस अनुपात में छत्तीसगढ़ शासन को आय प्राप्त होती है, उस अनुपात में दल्लीराजहरा नगरवासियों एवं यहाँ पर निवासरत नौवजवान बेरोजगारों के लिए कोई न रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं है, न ही यहाँ के स्थानीय रहवासियों को उसका लाभ प्राप्त हो रहा है जबकि रावघाट परियोजना शुरू होने से पहले क्षेत्र के शिक्षित- नौवजवान जो इस परियोजना के आने से रोजगार की आशा की किरण जगी थी। रावघाट परियोजना प्रारम्भ होने से आसपास के अनेकों खदान संचालित हुए जैसे- कच्चे माइंस डुलकी माइंस चारगाँव माइंस हाहालद्दी माइंस , मेटाबोदेली माइंस ,केवल माइंस ,पल्लेमाडी माइंस, खुलने से इस क्षेत्र के बेरोजगारों में रोजगार के प्रति आशा की किरण जगी थी। लेकिन क्षेत्रीयतावाद के कारण स्थानीय बेरोजगारों को खदानों में काम प्राप्त करना सपना हो चुकी है, जो स्थानीय बेरोजगारों के लिए कुठाराघात है, चूंकि लौह नगरी दल्लीराजहरा में लौह अयस्क की खदानों में उत्खनन लगातार जारी है, लेकिन यहाँ स्थानीय बेरोजगारों के लिए रोजगार के साधन नगण्य है। दल्लीराजहरा में शुरुवाती दिनों से लेकर 40 वर्षों तक लगभग 20 हजार कर्मचारी कार्य करते थे, जो घटकर आज वर्तमान में श्रमिकों की संख्या 3 हजार में ही सिमट गयी है, खदानों में हो रहे उत्पादन के अनुपात में कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम है, जिसका मूल कारण पूर्ण मशीनीकरण को बढ़ावा व मानवी श्रम का हनन हो रहा है, जिससे दल्लीराजहरा के स्थानीय नौजवान- बेरोजगारों में आक्रोश व्याप्त है, और औद्योगिक अशांति का खतरा मंडरा रहा है। दल्लीराजहरा के खदानों में क्षेत्रीयतावाद व कामरेड शहीद शंकर गुहा नियोगी जी का सपना था की पूर्ण मशीनिकरण अवधारणा को कम करके अर्ध मशीनिकरण किया जाए , जिसे दल्लीराजहरा के स्थानीय नौवजवान बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की जा सके ताकि औद्योगिक अशांति के खतरों से बचा जा सके।