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आशा हत्याकांड: लिव इन रिलेशनशिप में थे जोड़े, दल्ली में गर्लफ्रेंड की हत्या करने वाले बिहारी ब्वायफ्रेंड को आजीवन कारावास, “लास्ट सीन थ्योरी” के आधार पर ऐसे बना केस मजबूत,,,,

बालोद। दल्ली राजहरा में चर्चित आशा मारकंडे हत्याकांड के मामले में बिहार के बॉयफ्रेंड संतोष सोनी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लास्ट सीन थ्योरी के आधार पर यह सजा हुई है। आरोपी और मृतिका लिव इन रिलेशनशिप में थे और दल्ली राजहरा में रहते थे। सरोज नंद दास, प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बालोद (छ.ग.) के द्वारा आरोपी संतोष कुमार पिता रामप्रवेश प्रसाद, उम्र 25 वर्ष, निवासी वार्ड क्र० 13 पाली रोड डेहरी आनसन, जिला रोहतास (बिहार) को भा.द.वि. की धारा 302 के आरोप में आजीवन कारावास व 1,000/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी चित्रांगद देशमुख, अतिरिक्त लोक अभियोजक के द्वारा किया गया। जिसके अनुसार 12 जनवरी 2020 को देवदास कुमार मारकण्डे थाना राजहरा में इस आशय की सूचना दिया था कि उसकी बहन आशा उर्फ पोतो मारकण्डे डांस कार्यक्रम में नाचने-गाने उत्तरप्रदेश, बिहार जाती थी। 7 माह पहले उसी क्षेत्र में रहने वाले संतोष सोनी के साथ वापस राजहरा आकर दोनों एक साथ घर में पति-पत्नी जैसे रहते थे। शादी नहीं किये थे। दिनांक 12 जनवरी.2020 को सुबह 11:00 बजे आशा उर्फ पोतो मारकण्डे घर से बाहर नहीं दिखाई दी, तब उनके नाना मनराखन गांड़ा घर का दरवाजा खोलकर अंदर घुसकर आशा उर्फ पोतो मारकण्डे को देखे तो वह मृत हालत में खाट में पड़ी थी, चेहरे और गले में चोट का निशान थे तथा संतोष सोनी रात से घर से भाग गया था। संतोष सोनी ही आशा उर्फ पोतो मारकण्डे की हत्या कर भाग गया है, जिससे आशा मृत हालत में पड़ी है। उक्त सूचना पर थाना राजहरा द्वारा अकाल एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना क्रमांक 02/2020 दर्ज कर मामले को मर्ग जांच में लिया गया। मर्ग जांच दौरान शव का पंचनामा कार्यवाही कर शव का पोस्टमार्टम कराया गया। डॉ. द्वारा पी.एम. में आशा की मृत्यु “हत्यात्मक” प्रकृति का होना बताये जाने पर अभियुक्त संतोष सोनी के विरूद्ध संदेह के आधार पर भा.दं.सं. की धारा 302 के तहत् अपराध क्र० 12/2020 दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया। निरीक्षक मनीष शर्मा, निरीक्षक टी.एस. पट्टावी द्वारा विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, राजहरा में पेश किया गया। विचारण का क्षेत्राधिकार माननीय सत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में घटना के समय अभियुक्त, मृतिका आशा उर्फ पोतों मारकण्डे के साथ घर में उपस्थित था। अभियुक्त के द्वारा Last Seen Theory (लास्ट सीन थ्योरी) का खंडन नहीं किया है। जहां विचारण के दौरान आये साक्ष्य के आधार पर आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया।

क्या होता है लास्ट सीन थ्योरी

जैसे कुछ आपराधिक मामलों में जहां कोई प्रत्यक्ष या ठोस सबूत नहीं होता है कि अपराध कैसे किया गया है या किसने अपराध किया है तो मामले का फैसला करने का अंतिम उपाय मामले की परिस्थितियों पर आधारित यह सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मृतक के साथ उसकी मृत्यु से ठीक पहले या उसकी मृत्यु की उचित अवधि के भीतर इस प्रकार से अंतिम बार देखा जाता है कि उनके बीच कोई अन्य व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह (वह व्यक्ति जिसे अंतिम बार देखा गया था) अपराध का रचयिता है। और इस प्रकार इस तथ्य को नकारने के लिए सबूत का भार उस पर आ जाता है और यदि वह अपनी बेगुनाही के बारे में स्पष्ट और पर्याप्त स्पष्टीकरण देने में सक्षम नहीं है तो अनुमान और भी मजबूत हो जाता है।

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