सुप्रीत शर्मा/ कमलेश वाधवानी, बालोद। बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लाक के गांव भन्डेरा में विगत दिनों भाटापारा में स्थापित दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान मां दुर्गा की आंखों से आंसू निकलने से संबंधित तस्वीर सामने आई है। विसर्जन के बाद से यह तस्वीर विभिन्न ग्रुप में वायरल हुआ है। जिसे यहां के लोग चमत्कार मान रहे हैं। गांव के लोगों का भी कहना है कि हमने प्रत्यक्ष विसर्जन के दौरान प्रतिमा की दाहिनी आंख से आंसू निकलते हुए देखा है। तस्वीरों में भी साफ दिखाई दे रहा है। लोग इस तरह के दृश्य को देखकर इसे माता का चमत्कार मान रहे हैं। और कह रहे हैं कि माता हमारी भक्ति से प्रसन्न हुई। विसर्जन के दौरान सेवाभक्ति भाव को देखकर रोने लगी। आंसू निकलना इसी का प्रमाण है। तो वही विज्ञान इसे अस्वीकार करता है। पंडित वर्ग भी इसे चमत्कार की तरह ही देखते हैं। कुछ पंडितों का कहना है कि ऐसा कभी कभार सुनने को मिलता है और देखा जाता है। करीब 2 साल पहले धमतरी के सिविल लाइंस में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा की आंखों से आंसू निकलने की घटना सामने आई थी। इसके पीछे क्या कारण है यह वैज्ञानिक जांच का विषय भी रहता है। पर आस्थावश लोग इसे माता का चमत्कार ही मानते हैं। भन्डेरा के एक टेलर सुरेंद्र देवांगन ने उक्त तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी। जो काफी वायरल हुई। इसकी सच्चाई जानने के लिए भी हमने गांव के कुछ प्रमुखों से चर्चा की तो उनका भी यही कहना था कि हम भी विसर्जन के दिन प्रतिमा की आंखों से आंसू निकलते देखे हैं।
आंसू निकलना जैविक क्रिया है, जो मूर्ति में संभव नही
इधर मामले में अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा इसके पहले भी प्रतिमाओं की आँखों से पानी निकलने की बातें प्रचारित हुई है,पर आँसू निकलना, पलक झपकना, चलना उठना बैठना, सांस लेना ,भोजन ग्रहण करना आदि जैविक क्रियाएं है ,जो किसी जैविक संरचना में ही संभव है , जिसके लिए उसमें उस जैविक क्रिया के लिए एक तंत्र होता है। इस प्रकार किसी भी मूर्ति से आँसू निकलना संभव नहीं है । यह एक भ्रम उत्पन्न करने का प्रयास है ,प्रतिमा की आंख में से आंसू निकलना मूर्ति में पानी के छींटे आने से होता है जो बरसात के मौसम में,बौछार बूंदाबांदी, और किसी श्रद्धालु के द्वारा जल अर्पित करने से संभव है। कुछ लोगों द्वारा कई बार भ्रम उत्पन्न कर, अफवाहें फैलाई जाती है जिससे अंधविश्वास फैल जाता है। लोगों को आस्था और अंधविश्वास में स्वयं फर्क करते हुए किसी भी अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए।
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