परसवानी में पापा की परियों ने संभाली रामलीला की बागडोर, रावण दहन के साथ की रामलीला, हौसला बढ़ाने पहुंचे संसदीय सचिव निषाद

बालोद। ग्राम परसवानी में रामलीला मंडली की बागडोर यहां के बेटियों ने संभाली। इस बार 6 अक्टूबर को बेटियों ने रामलीला का मंचन और रावण पुतला का दहन भी किया । गांव के बुजुर्गों और युवाओं का साथ भी उन्हें मिला। इस बार राम की भूमिका में भानु देशमुख नजर आई। तो वही रावण के किरदार में प्रीति खरे। आयोजन के मुख्य अतिथि संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद थे। जिन्होंने रामलीला के क्षेत्र के बेटियों के इस कदम की सराहना की और आयोजन में पहुंचकर उनका हौसला बढ़ा कर उन्हें सम्मानित किया। परसवानी की बेटियों ने कहा रामलीला की इस परंपरा को वे आगे भी बरकरार रखेंगे। कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं व कॉलेज तक पढ़ने वाली छात्राओं ने यहां रामलीला के सभी पात्रों में अभिनय किया । वाद्य यंत्रों का जिम्मा पुरुष संभाले हुए थे। बाकी सभी अभिनय बेटियां की ।

इस तरह हुई बेटियों से बदलाव की शुरुआत

रामलीला मंडली के निर्देशक नूतन ठाकुर ने बताया कि वे गांव में कई साल से रामलीला मंडली का संचालन कर रहे हैं। पहले वे स्वयं रामधुनी के भी कलाकार व निर्देशक थे। लेकिन विगत 4 साल से पुरुष पात्रों द्वारा अपेक्षित रुचि ना लिए जाने के चलते आयोजन नहीं हो पा रहा था। जिसे देखते हुए उनके मन में विचार आया कि क्यों ना बेटियों से रामलीला करवाई जाए। उसके लिए गांव की ही एक बाल गायिका खिलेश्वरी यदु से संपर्क किए।
उन्होंने भी इच्छा जताई कि हम सहेलियों के साथ मिलकर रामलीला की शुरुआत करेंगे। देखते- देखते कई सहेलियां तैयार हो गई और फिर अभ्यास शुरू हुआ। चंद दिनों की अच्छी खासी तैयारी के साथ इनकी मंडली पिछले साल ही पहली प्रस्तुति में ही खूब तालियां बटोरी थी।

टूटने नहीं देंगे परंपरा

4 साल से गांव में रामलीला का ठीक से आयोजन नहीं हो पा रहा था। पुरुष पात्र इसमें रुचि नहीं दिखा रहे थे तो परंपरा टूटने की कगार पर थी। लेकिन यहां की लड़कियों ने इस परंपरा को टूटने से बचा लिया सह निर्देशक और प्रमुख गायिका ख़िलेश्वरी ने बताया कि वह ज्यादा से ज्यादा बेटियों को रामलीला मंडली से जोड़ने प्रोत्साहित करती हैं। किसी की शादी होती है तो नए बेटियों को जोड़ लिया जाता है। ताकि परंपरा को बनाए रखा जा सके।

इन बेटियों ने किया रामलीला का मंचन

राम भानु देशमुख, सीता मोनिका मानिकपुरी , लक्ष्मण रितु मण्डावी, हनुमान ज्योति मण्डावी, अंगद निकिता यदु, भरत गीतांजलि यदु, विभीषण चन्द्रप्रभा निर्मलकर, नल चंद्रिका खरे, नील माही नेताम, सुसैन वैद रुचिता देशमुख, जामवंत दीप्ति ठाकुर, रावण प्रीति खरे, मेघनाथ अंजली यदु, कुंभकरण सोनी यदु, निशाचर वंदना यदु, प्रियंका मानिकपुरी, नीलम खरे, कालनेमी नोमेश्वरी देवांगन, परि रितु नेताम थे। इसके अलावा निर्देशक नूतन ठाकुर, गायिका व सह निर्देशक ख़िलेश्वरी यदु, गायक अवध राम यदु थे। वाद्य यंत्र की जिम्मेदारी काशीराम मण्डावी, गोपाल दास मानिकपुरी, लोमन देवदास कोतवाल, हितेंद्र मानिकपुरी ने संभाली।

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