November 22, 2024

इस तरह ना करें अन्न का अपमान, अन्नदाताओं से पूछे कितनी होती है इन्हें उगाने में मेहनत? पढ़िए इन तस्वीरों के पीछे की कहानी

बालोद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में यही हाल

बालोद। धान के एक दाने को खेतों में बो कर, जमीन की जुताई ,मताई, निंदाई, दवाई छिड़काव कर उसे उगाने, पकने, फसल कटने फिर उसके चावल बनने में काफी मेहनत लगती है। 3 से 4 माह की कड़ी तपस्या के बाद धान का वो दाना अन्न खाने के लायक तैयार होता है। यह तो सिर्फ अन्नदाता किसान ही समझ सकते हैं कि वे एक-एक दाना उगाने के लिए कितना पसीना बहाते हैं। पर इन दिनों सरकार के राशन दुकानों में इन्हीं अन्न का अपमान देखा जा रहा है। उक्त तस्वीर बालोद ब्लॉक के ग्राम भोथली के सरकारी राशन दुकान की है। जहां पर वितरण के लिए वेयर हाउस से पहुंची चावल इस कदर गिरते हुए पहुंचाई जा रही है। दरअसल में इन सब के पीछे कारण फटे बारदानों में सप्लाई है। बताया जाता है कि पिछले 2 साल से नए बारदाने नहीं आए हैं। धान खरीदी भी जिस तरह पुराने बारदानों से हुई है। उसी तरह अब चावल की सप्लाई हो रही है।ज्यादा पुराने बारदाने इसी वजह से हूक मारते ही फट रहे हैं। कई जगह स्थिति बहुत ही बदहाल हो गई है। विक्रेताओं ने बताया एक- एक सोसाइटी में 3 से 4 क्विंटल चावल इस लापरवाही की वजह से खराब हो रहे हैं। राशन विक्रेता संघ के जिला अध्यक्ष राजेश सिन्हा का कहना है कि हमने उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत करा कर सही तरीके से सप्लाई करवाने की मांग की है। ताकि नुकसान ना हो। वेयरहाउस से जुड़े अधिकारी विनोद शर्मा ने भी इस बात को स्वीकारा कि पुराने बारदाने होने से फटने की शिकायत आ रही है। हमने सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को निर्देशित किया है कि बारदानों को सील कर सही तरीके से सप्लाई करें। ताकि चावल का नुकसान ना हो। नया बारदाना की कमी है।

You cannot copy content of this page