फ़िल्म है कांसेप्ट- पुश्तैनी काम भी बना सकता है आत्मनिर्भर, चाहे वह छोटा हो या बड़ा ,सुधार सकते हैं अपना जीवन
बालोद जिले में 16 मई से शुरू होगी शूटिंग
तीनों विधायक ने किया पोस्टर का अनावरण, मत्स्य पालन विषय पर बनने वाली अलग कहानी की भारत में है ये पहली फिल्म
बालोद। बालोद जिले का नाम वैसे तो छत्तीसगढ़ी फिल्म, एलबम की शूटिंग में जाना जाने लगा है। यहां के कई लोकेशन अब डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को आकर्षित कर रहे हैं। बालोद जिले की तांदुला डैम हो, सियादेही हो या फिर ओनाकोना, जैसे दर्शनीय और धार्मिक स्थल में कई फिल्मों की शूटिंग होने लगी है। जहां कुछ साल पहले भोजपुरी बॉर्डर फिल्म की शूटिंग भी इलाके में हुई थी। तो न्यूटन जैसी राजकुमार राव की बॉलीवुड फिल्म भी यहां के जंगल मे शूट की जा चुकी है। बॉलीवुड की धमक इलाके में हो चुकी है। अब एक नई फिल्म मेरा संघर्ष की शूटिंग भी जिले में 16 मई से शुरू होगी। जिसके पोस्टर का अनावरण महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री विधायक डौंडी लोहारा अनिला भेड़िया, संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर निषाद, बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने संयुक्त रूप से रेस्ट हाउस बालोद में किया। छत्तीसगढ़ में संकेत सरजन और काशी फिल्म प्रोडक्शन मुंबई के बैनर तले बनने वाली मत्स्य पालन पर आधारित यह हिंदी पिक्चर फिल्म है। जिसकी अधिकतर शूटिंग बालोद जिले में होनी है। कुछ शूटिंग रायपुर, धमतरी और दंतेवाड़ा जिले में होने हैं। इस फिल्म की कहानी मत्स्य पालन विषय पर बनने वाली फिल्मों में सबसे अलग है। कहानी के हिसाब से देखें तो यह अपनी तरह की पहली फिल्म होगी। इस फिल्म की कहानी के संबंध में हमने इसके प्रोड्यूसर वीरेंद्र नाहर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि फिल्म में मछुआरों के संघर्ष को दिखाया गया है। ये संदेश देने का काम भी किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपने पुश्तैनी काम से भी आत्मनिर्भर बन सकता है। उन्हें नौकरी की जरूरत नहीं है। अपने ही काम को वे इतनी लगन और मेहनत से करके जिंदगी में बेहतर मुकाम पा सकते हैं। इस फिल्म की कहानी भी दो मछुआरे भाई बहन की है। जो काफी गरीब परिवेश के होते हैं। लेकिन अपने मेहनत से कुछ बड़ा हासिल करते हैं कि उनकी चर्चा पूरे क्षेत्र में होती है। गरीब परिवार की मछुआरे की बेटी यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेती है और एसपी बन जाती है। तो मछुआरा भाई मछली पालन को इस तरह बढ़ावा देता है कि वह पूरी महिला समूह की कंपनी खड़ी कर देता है। मछली पालन में ग्रेजुएशन करके वह नई तकनीक सीखता है। पहले तो लोग इस बात पर हंसते हैं कि यह क्या पढ़ाई कर रहे हो। लेकिन अपने पुश्तैनी काम को कैसे आर्थिक आत्मनिर्भरता का जरिया बना जा सकता है और अपनी जिंदगी बदल सकते हैं यह कहानी की थीम है। मछुआरों के जिंदगी में किस तरह का संघर्ष रहता है यह बारीकी से इसमें फिल्माया जाएगा। जो हमेशा प्रेरित करेगी।
विधायक कुंवर निषाद का भी है फिल्म में रोल
बालोद जिले में शुरू हो रहे इस फिल्म की शूटिंग में विधायक कुंवर सिंह निषाद का भी फिल्म में रोल है। इस फिल्म में वे एक जनप्रतिनिधि के तौर पर नजर आएंगे। जो पीड़ितों की मदद करते हैं। बता दें कि कुंवर निषाद भी एक मछुआरे हैं। उनकी जिंदगी भी शून्य से शुरू होकर इस राजनीति के शिखर तक पहुंच रही है। प्रोड्यूसर ने बताया कि उनकी कहानी वैसे तो एक उपन्यास पर आधारित है। जो 25 से 30 साल पहले लिखी जा चुकी है। उस उपन्यास की कहानी को अब फिल्माया जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ आने पर उन्हें मालूम हुआ कि ऐसी संघर्ष की कहानी विधायक कुंवर सिंह निषाद की भी है। जो आज विधायक और अब संसदीय सचिव तक बन चुके हैं। उन्होंने अपने काम से हमेशा जुड़ाव रखा और आज एक नए मुकाम तक पहुंचे हैं। फिल्म में उन्हें भी एक सजग जनप्रतिनिधि का किरदार निभाने का मौका दिया गया है। जो लोगों की पीड़ा दूर करते हैं और मछुआरों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सहायता प्रदान करते हैं।
देश भर में 7 भाषाओं में प्रदर्शित होगी फिल्म
फिल्म मेरा संघर्ष की एक खासियत यह है कि इसमें छत्तीसगढ़ में अधिकतर जगह पर शूटिंग तो होगी ही । मुंबई से आए बड़े कलाकार व स्थानीय कलाकार भी इसमें भाग लेंगे। फिल्म सात भाषाओं में पूरे भारत में प्रदर्शित होगी। मत्स्य पालन विषय पर बनने वाली भारत में पहली फिल्म मानी जा रही है। फिल्म पोस्टर के अनावरण पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चंद्रप्रभा सुधाकर सहित प्रोडक्शन कंपनी के स्टाफ मौजूद रहे। तीनों विधायकों ने इस फिल्म के लिए डायरेक्टर सहित सभी टीम को बधाई दी। इसे बालोद के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण बताया। जो एक अलग तरह की कहानी है और उसकी शूटिंग जिले से शुरू हो रही है। इस फिल्म के जरिए बालोद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचेगा।
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