तंबू में शर्तिया इलाज के दावे, भोले भाले लोगों को लेते हैं झांसे में, पुलिस ने किया आगाह, शहरी इलाके से जड़ी बूटी वालों को खदेड़ा तो गांव में डाल रहे डेरा

बालोद। इन दिनों शहर और ग्रामीण क्षेत्र में तंबू वाले शर्तिया फर्जी आयुर्वेद बैगा किस्म के लोग सक्रिय होने लगे हैं। ऐसे लोग लोगों को शर्तिया इलाज का झांसा देकर जड़ी बूटी बेचकर ठगी का शिकार बनाते हैं। खासतौर से जिन रोगों के बारे में लोग बताने से शर्माते या हिचकते हैं उनके इलाज की वह भी शर्तिया यानी गारंटी है कि वह ठीक हो जाएगा, ऐसा दावा करके इलाज के नाम पर जड़ी बूटियों को मनमाने दाम में बेचने का खेल चलता है। कई भोले भाले खासतौर से निसंतान दंपत्ति या गुप्त रोगों से जूझ रहे लोग ऐसे फर्जी लोगों के झांसे में आ भी जाते हैं। जिसे देखते हुए जिला पुलिस प्रशासन द्वारा आगाह किया गया है कि ऐसे लोगों से सावधान रहें। तो साथ ही इस तरह बाहर से आकर तंबू गड़ाकर जड़ी बूटी बेचने वालों को पुलिस खदेड़ने का काम भी कर रही है। लेकिन इनका क्या है यहां से खदेड़े तो दूसरी जगह डेरा जमा लिया। विगत दिनों अर्जुन्दा थाना क्षेत्र में भी इसी तरह से तंबू लगाकर धंधा शुरू किया गया था। इसकी जानकारी मिलने के बाद थाना प्रभारी कुमार गौरव साहू के नेतृत्व में टीम भेजकर उन्हें वहां से खदेड़ा गया। इसी तरह बालोद आस-पास के गांव जुंगेरा, घुमका में ऐसे तंबू वाले फर्जी लोग नजर आते हैं। अगर इन पर समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो लोगों को लूटने में ये कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

अर्जुन्दा पुलिस जड़ी बूटी वालों को इलाके को खाली करवाते हुए

ऐसे होता यहां का माहौल, पोस्टर देख राहगीर होते हैं आकर्षित

सड़क किनारे लगा तंबू। वहां पगड़ी बांधे बैठा युवक। निकट लगे पहलवानों के फोटो और शीशियों में बंद जड़ी-बूटियां। इस तंबू में ही होता है हर मर्ज का शर्तिया इलाज। चाहे वह संतान से संबंधित हो या फिर गुप्त रोगों का। विज्ञान ने बेशक कितनी भी तरक्की कर ली हो लेकिन शर्तिया इलाज की गारंटी नहीं होती, लेकिन यहां तो माइक पर शर्तिया इलाज का दावा किया जाता है। यह अपने-आप में हैरान करने वाली बात है, मगर आप हैरान न हों और सावधान हो जाएं क्योंकि इनके दावे में कोई सच्चाई नहीं है। जिले के तमाम आला स्वास्थ्य अधिकारी इधर से भी गुजरते होंगे मगर इससे मुंह फेरकर निकल जाते हैं। आज समय बदल रहा है। चिकित्सा से लेकर शिक्षा तक हर क्षेत्र में तरक्की हुई है लेकिन खानाबदोश आज भी शर्तिया इलाज कर रहे हैं। बालोद जिले के कई अंदरूनी मार्गो पर अपने तंबू लगाकर वहां पर लाउड स्पीकर से प्रचार करते हुए हर शर्तिया इलाज की बात कहते हैं। साथ ही नाड़ी देखकर हर मर्ज की दवा देते हैं। इन तंबू के अंदर ही मर्दानी ताकत, ब्लड प्रेशर समेत अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है। साथ ही जड़ी-बूटी दी जाती है। इन खानाबदोशों की गाड़ी में ही सारा सामान होता है। घर-गृहस्थी से लेकर दवा तक। तंबू में बैठने वाले के पास न कोई डिग्री है और न ही अन्य मशीनरी लेकिन उसके बाद भी इलाज की पूरी गारंटी है। पोस्टर तो ऐसे लगाते हैं जैसे सबके ज्ञाता हो।
इस जड़ी-बूटी में क्या है किसी को कुछ नहीं पता। तंबू के अंदर लगे इस दवाखाने का कोई रजिस्ट्रेशन आदि भी नहीं है। इनमें से कई तो खानदानी डाक्टर होने का दावा करते हैं। बताते हैं कि उनके यहां पीढि़यों से जड़ी बूटी से इलाज का ऐसा ही धंधा चलता आ रहा है। वे जड़ी बूटी चाहे जहां से लाते हों मगर उसका पता ठिकाना हिमालय पर्वत ही बताते हैं। ऐसा नहीं है कि राह चलते अधिकारियों की इन पर नजर नहीं जाती हो, लेकिन वह ध्यान नहीं देते। एक तरफ तो झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है, साथ ही थानों में अभियोग भी दर्ज किया जाता है। दूसरी ओर सड़क किनारे बिना किसी डिग्री, बिना किसी रजिस्ट्रेशन के शर्तिया इलाज करने वालों के खिलाफ आखिरकार स्वास्थ्य विभाग क्यूं कार्रवाई नहीं कर रहा है। अब पुलिस प्रशासन इस मामले में सख्त हो रहा है और ऐसे तंबू वालों को खदेड़ने का सिलसिला चल रहा है।

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