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दुर्ग जिले के बाद बालोद जिले में पहली बार वन समिति के सभापति का हुआ निर्वाचन, पढ़िए कैसे एक घरेलू महिला से सभापति बनने का सफर पूरा किया धनेश्वरी ने

बालोद। राजनीति हो चाहे कोई भी क्षेत्र। महिलाओं को 50% आरक्षण प्राप्त है और इसी के चलते महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। खासतौर से चुनाव में आज महिलाओं का दमखम पुरुषों के बराबर नजर आता है। और यही वजह है कि महिलाएं कई बड़े पदों पर भी मुकाम हासिल कर रही है।एक तरफ जहां बालोद जिला पंचायत के अध्यक्ष भी महिला सोना देवी देशलहरा है तो वहीं अधिकतर जिला पंचायत सदस्यों के पद पर भी महिलाएं काबिज हैं। इस बीच अब बालोद जिले में पहली बार वन समिति की सभापति के रूप में बरही की रहने वाली जिला पंचायत सदस्य धनेश्वरी सिन्हा निर्वाचित हुई है। जब दुर्ग जिला होता था तो उस समय वन समिति होती थी। जो दुर्ग जिले से संचालित होता था। बालोद जिला बनने के बाद अब तक इस वन समिति का सभापति कोई नहीं था। पहली बार वन समिति का सभापति चुना गया है। जिस पर अब वन विभाग के कार्यों की निगरानी व अनुमोदन का जिम्मा रहेगा। अब जिला पंचायत सदस्य व वर्तमान वन समिति की सभापति धनेश्वरी सिन्हा वन विभाग के काम में अनुमोदन का अधिकार रखेगी। एक घरेलू महिला से पहले सरपंच फिर आज इस जिला पंचायत सदस्य जैसे बड़े मुकाम तक पहुंचने वाली धनेश्वरी का मानना है कि उन्हें अपनों का बहुत साथ मिला। खासतौर से पति नरेंद्र सिन्हा के सपोर्ट से वह आगे बढ़ पाई और अब वह खुद ही अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दे रही है। इस नई जिम्मेदारी को वह बखूबी निभाने को तैयार है ।बता दें कि उनके पति जब से पंचायती राज व्यवस्था 1994 से लागू हुई तब से राजनीति में आए और पंच से चुनाव की शुरुआत की। जिसमें विजय हुए। इसके बाद वे सरपंच भी रहे। पिछले कार्यकाल में धनेश्वरी खुद सरपंच रही और उन्होंने कांग्रेस के समर्थन के साथ पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा व वर्तमान विधायक संगीता सिन्हा के मार्गदर्शन में जिला पंचायत चुनाव लड़ी और विजय हुई।

By dailybalodnewseditor

2007 से पत्रकारिता में कार्यरत,,,,,कुछ नया करने का जुनून, कॉपी पेस्ट से दूर,,,

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