बालोद। आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष दीपक आरदे ने बताया कि आज से पूरा जिला में मुख्यमंत्री के नाम धान संग्रहण केंद्रों में धान को सड़ने से बचाने के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु जिलाधीश अधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएगा।उन्होंने कहा कि बारिश सर पर है और अभी भी पिछले वर्ष खरीदा गया 14लाख मीट्रिक टन धान खुले में पड़ा हुआ है।राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राज्य के पंजीकृत किसानों से खरीफ़ सीजन में लाखों टन धान की खरीदी कर उनका संग्रहण खुले आसमान के नीचे किया जाता है।संग्रहण केंद्रों में धान की भूसी की मोटी परत के ऊपर धान की छल्ली लगाई जाती है जिसे काले प्लास्टिक की झिल्ली से ढँक दिया जाता है। धान के संग्रहण केंद्रों का स्थान चयन करने के समय इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता कि कहीं उस स्थान पर बारिश के समय जल भराव तो नहीँ होता या वह दलदली जगह तो नही है। फलस्वरूप बारिश के समय धान की छल्ली की नीचे की परतें ढँके होने के बावजूद भीगकर खराब हो जाती हैं।ऊपर की परत भी प्लास्टिक झिल्ली आँधी-पानी-धूप, चूहों, पक्षियों के द्वारा क्षतिग्रस्त होने की वजह से कई स्थानों पर खुल जाती है जिससे भी धान खराब होता है।दलदली जगहों में धान का उठाव भी करते नहीं बनता और उसे सड़ने छोड़ दिया जाता है।
सड़ा हुआ धान राइस मिलरों के किसी काम का नहीँ होता और शराब निर्माण के अलावा इसका कोई उपयोग भी नहीं होता अस्तु टेंडर के माध्यम से इसकी बिक्री शराब निर्माताओं को कौड़ियों के दाम की जाती है जिससे प्रतिवर्ष लगभग रु150करोड़ राजस्व की क्षति राज्य सरकार को होती है जो की बहुत बड़ी क्षति है।
कृषि फसलों के भंडारण को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है अगर सिर्फ धान की ही बात करें तो जितनी खरीदी राज्य सरकार करती है उसकी 10%की ही भंडारण क्षमता राज्य सरकार के पास है।जबकि प्रतिवर्ष होने वाले रु150करोड़ की राजस्व क्षति से हर साल लगभग 40लाख वर्गफीट क्षेत्रफल के तकनीकी रूप से उन्नत सायलो धान के सुरक्षित भंडारण के लिए बनाए जा सकते हैं।सरकार इस काम को कर सकती है फिर भी नहीं कर रही है।पूर्ववर्ती भाजपा की रमण सरकार ने भी इस काम को नहीँ किया।इससे तो यही लगता है कि कॉंग्रेस नित भूपेश सरकार भी रमण सरकार के नक्शे कदम पर ही चल रही है और शराब निर्माता कम्पनियों से सांठगांठ कर जानबूझकर धान को सड़ाया जा रहा है ताकि कम्पनियां अरबों का धान कौड़ियों के दाम खरीद सकें। आम आदमी पार्टी बालोद छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल , जो स्वयं भी एक कृषक हैं और जो जानते हैं कि एक किसान कितने श्रम साध्य प्रक्रिया से गुजरकर अपना उत्पाद पैदा करता है वह इस प्रकार नष्ट नहीं होना चाहिए,से मांग करती है कि वे किसानों की मेहनत का सम्मान करते हुए धान संग्रहण केंद्रों में वैज्ञानिक रूप से उन्नत व्यवस्था बनाकर प्रतिवर्ष अरबों रुपयों की राजस्व क्षति से राज्य को बचाएं।आज ज्ञापन देने में नागेश्वर निषाद, देवेंद्र देशमुख , भागवत भूषण ने अपना सगयोग दिया।