बड़ी खबर – चंदा हाथियों के दल से बिछड़े एक हाथी बलराम की सिवनी में करंट से मौत, बांकी हाथी भी उसी ओर बढ़ रहे! पढ़िए पूरा मामला,,,
बालोद(छग)/जबलपुर(मप्र )। वर्तमान में बालोद व कांकेर जिले की सीमाओं से लगे जंगल में भटकते चंदा हाथियों के दल से बिछड़े एक हाथी बलराम की मौत हो गई है तो वहीं वन विभाग के लिए चिंता की बात ये है कि जिस इलाके में मौत हुई है उसी इलाके में यह दल भी बढ़ रहा है दरअसल में मध्य प्रदेश के जबलपुर वनमंडल के वन परिक्षेत्र बरगी में शुक्रवार अपने साथियों से बिछुड़े जिस हाथी का शव पाया गया था। उसकी मौत की गुत्थी सुलझा ली गई है। यह हाथी चंदा हाथियों के दल से बिछुड़ा हुआ था तीन शिकारियों ने हाथी दांत के लालच में बिजली का करंट लगाकर हाथी का शिकार किया था। इसकी पुष्टि होने पर वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों शिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है तो वहीँ एमपी का अमला भी अब मृत हाथी के साथी को खोजने के प्रयास कर रही है। इधर जिले में हाथियों का दल अब गुरुर के मुजालगोंदी इमली पारा से होते हुए नदी पार कर चारामा व धमतरी के बीच जंगलो से होकर आगे बढ़ रहा है वन विभाग लगातार उसके पीछे ट्रेस करते चल रही
इस तरह हुई है जबलपुर में घटना
एमपी के सिवनी जिले से वनमंडल मंडला में घूमते हुए दो जंगली हाथी 24 नवम्बर की रात जबलपुर वनमंडल के अंतर्गत वन परिक्षेत्र बरेला में आए थे। ये दोनों हाथी अपने साथियों से बिछुड़ गए थे। डीएफओ मंडला से इसकी सूचना मिलने पर डीएफओ जबलपुर अंजना सुचिता तिर्की ने अपने अमले को सतर्क कर दिया था और वनकर्मियों पर हाथियों की निगरानी के लिए निर्देशित किया था। वनकर्मियों की नजर से दोनों हाथी एक दिन गायब रहे। तीसरे दिन यह वन्यजीव वन परिक्षेत्र बरगी में नर्मदातट पर खिरहनी व जमतरा के जंगल में विचरण करते देखे गए। इसके बाद भी वन अमला लापरवाह बना रहा। गुरुवार की सुबह बरगी तहसील के मानेगांव से मोहास के बीच स्थित जंगल में एक हाथी का शव पाया गया।
वही वन अधिकारियों ने हाथी के मृत शरीर का निरीक्षण करने पर पाया कि उसकी सूंड करंट लगने से करीब डेढ़ फीट तक झुलस गई थी। इसके बाद ग्राम डुंगरिया मोहास के कोटवार से पूछताछ करके उन्होंने ग्रामीणों के बयान लिए। ग्रामीणों ने गांव के एक व्यक्ति को दो बाहरी लोगों के साथ मिलकर हाथी का बिजली करंट लगाकर हाथी का शिकार करने का संदेह जताया। जिसके बाद तीनों शिकारियों को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। नर हाथी की मौत की खबर पाकर वन अधिकारियों का अमला शुक्रवार सुबह जल्द ही मौके पर पहुंच गया था। इसलिए शिकारियों को मृत हाथी के दांत काटकर निकालने का मौका नहीं मिला। वन विभाग ने हाथी का शिकार करने वाले तीनों आरोपितों के खिलाफ वन्यजीव अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
इधर बालोद जिले में ऐसे हुई है हाथियों की दस्तक
चंदा हथिनी का दल करीब 10 महीने से बालोद, धमतरी सहित आसपास के जिलों में है। यह अब उसी रूट पर लगातार आगे बढ़ रहा है जिस रास्ते से करीब डेढ़ साल पहले झारखंड-ओडिशा से जिले में आए राम-बलराम मध्यप्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में चले गए थे। यह दोनों हाथी चंदा हथिनी दल के ही थे। दोनों हाथी पिछले डेढ़ साल से कान्हा उद्यान सहित आसपास के जंगल में थे। इनमें से एक हाथी बलराम की शुक्रवार को करंट लगने से मौत हो गई है ।इसके साथी राम हाथी का पता नहीं चला है। 2 किमी के क्षेत्र में उसके पैरों के निशान तो मिले हैं, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया है। जानकारी के मुताबिक ओडिशा से महासमुंद आए हाथियों के चंदा हथिनी के झुंड से डेढ़ साल पहले 2 हाथी अलग होकर भोजन-पानी की बेहतर जगह तलाशने निकले। दोनों गरियाबंद के जंगलों से होते धमतरी आए थे।करीब महीनेभर जंगल में रहने के बाद कांकेर जिले से होते ही आगे बढ़े और मध्यप्रदेश के कान्हा किसली उद्यान के जंगल में चले गए। यहां से वे 180 किमी दूर जबलपुर के आसपास जंगल में रह रहे थे।
किसे कहते हैं टस्कर हाथी
राम की उम्र 11 साल और बलराम की उम्र 16 साल थी। दोनों शांत व्यवहार के थे। दोनों का नामकरण महासमुंद वनमंडल में सीसीएफ केके बिसेन ने किया था। यह अकेले या कुछ हाथियों के साथ नए-नए जंगलों में बेहतर स्थान ढूंढते हैं। बाकी दल को अपने तरीके से सूचनाएं भेजते हैं। वन विभाग की भाषा में इन्हें टस्कर हाथी कहा जाता है।
राम-बलराम के रास्ते पर चंदा हथिनी का दल
अफसरों के मुताबिक हाथी शाकाहारी होते हैं, खाने में पेड़-पौधों की पत्तियां, फल-फूल और पानी की जरूरत होती है। धमतरी व बालोद जिले के जंगलों में ये सुविधाएं हैं। गंगरेल, सोंढूर, दुधावा व मुरूमसिल्ली बांध के आसपास पानी व घने जंगल हैं, जो हाथियों के अनुकूल हैं। यहीं वजह है कि दोनों टस्कर हाथी राम-बलराम के जाने के बाद चंदा 23 हाथियों की झुंड लेकर धमतरी के जंगल में आई। यह दल करीब 10 महीने से धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बालोद, कांकेर व भानुप्रतापपुर के जंगल में घूम रहा है। यह राम बलराम की तरह ही उसी ओर बढ़ने के रास्ते पर चल रहा है।