आखिर अंजलि ने बिखेर ही दिया अभिनय का जादू, छत्तीसगढ़ी में आई ऐसी फिल्म जब हीरो, हीरोइन की नहीं बल्कि एक मां की एंट्री पर बजती है तालियां और सीटी, पढ़िए बालोद पहुंचे फिल्म के अभिनेता दिलेश व अभिनेत्री अनुकृति चौहान ने क्या कही बातें?
बालोद। छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में डायरेक्टर सतीश जैन की फिल्म की तारीफ होती है। उनके द्वारा चुनिंदा फिल्में बनाई जाती है जिनकी कहानियां लोगों को हमेशा याद रहती है। ऐसे ही नई कहानी और किरदारों के साथ एक अलग हटकर छाप छोड़ जाने वाली फिल्म छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और वह है चल हट कोनो देख लिही। इस फिल्म में अभिनेता दिलेश साहू के मां के किरदार में बालोद जिले की अरजपुरी की रहने वाली अंजली सिंह चौहान नजर आई है। जिन्होंने आखिरकार अपने अभिनय से फिल्म में जान डाली है और उन्होंने अपने जादू बिखेरा है। इस बात को फिल्म के अभिनेत्री और अभिनेता भी स्वीकार करते हैं कि यह ऐसी फिल्म है जिसमें हीरो और हीरोइन की एंट्री पर नहीं बल्कि एक मां के किरदार की जब एंट्री होती है तो उस पर ताली बजती है। लोग सीटी बजाते हैं। उसके डायलॉग सुन लोग जोश से भर जाते हैं। सही मायने में नारी शक्ति को प्रदर्शित करने वाली यह फिल्म छत्तीसगढ़ के लोगों को एक नया संदेश देगी और जो महिलाओं को कठपुतली समझते हैं उन्हें यह समझ आ जाएगा कि महिलाएं चाहे तो पुरुषों से भी आगे जा सकती है। इस फिल्म की कहानी भी काफी दिलचस्प है। ट्रेलर में जिस बात को दिखाया गया है वह फिल्म के आखिरी तक रोमांच और चुनौतियों के साथ पूरा होता ही है। शनिवार को बालोद में प्रेस वार्ता लेने पहुंची अभिनेत्री अनुकृति चौहान व अभिनेता दिलेश साहू ने कहा कि अक्सर हम सिनेमा हॉल में देखते हैं कि जब हीरो और हीरोइन की एंट्री होती है तो लोग सीटियां, ताली बजाते हैं। लेकिन यह छत्तीसगढ़ की ऐसी फिल्म बन गई है जिसमें एक मां की एंट्री होने पर तालियां बजती हैं। लोग उनका अभिनय देखने के लिए सिनेमा हाल तक आने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने की जरूरत
अभिनेत्री अनुकृति चौहान ने कहा कि आज भी कई लोग हैं जो छत्तीसगढ़ में रहते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ी बोलने से हिचकते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बढ़ावा देने की जरूरत है। हम छत्तीसगढ़ के होकर अपनी छत्तीसगढ़ी फिल्म नहीं देखते तो यह गलत बात है। दूसरे राज्यों में स्थानीय फिल्में इसलिए ज्यादा दिनों तक चलती है क्योंकि वहां के स्थानीय लोग चाहते हैं। आज छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री संकट के दौर से भी गुजर रही है। लोगों को अपने राज्य की संस्कृति और कला को बचाने के लिए आगे आने की जरूरत है।
लंबे समय के अंतराल के बाद धमाकेदार छत्तीसगढ़ी फिल्म आई “चल हट कोनों देख लिहि ……दर्शको ने सराहा
फिल्म के निर्माता छोटेलाल साहू, अभिनेता दिलेश साहू, अभिनेत्री अनिकृति चौहान शनिवार को अपने फ़िल्म चल हट कोनो देख लिहि के प्रमोशन में बालोद पहुंचे थे। जिन्होंने रेस्ट हाउस में मीडिया को संबोधित किया। कलाकारो ने कहाछत्तीसगढ़ी सिनेमा में सतीश जैन का नाम जब भी आता है तो सिर्फ धमाकेदार फिल्म के लिए ही और एक बार फिर उन्होंने यह साबित किया है कि सतीश जैन क्यों छत्तीसगढ़ी सिनेमा के नंबर वन डायरेक्टर हैं। 13 मई को रिलीज हुई उनकी फिल्म “चल हट कोनो देख लेही एक कंपलीट एंटरटेनमेंट पैकेज फिल्म है, सतीश जैन की फिल्म में ढाई घंटे का भरपूर मसाला होता है फिर चाहे गानों की बात करें एक्शन सीक्वेंस की बात करें इमोशन की बात करें कॉमेडी की बात करें फिल्म में हर वह एलिमेंट मौजूद है जो दर्शकों को बांध कर रखता है। निर्माता ने बताया हीरो की एक्टिंग की बात कर तो एक्शन स्टार छवि वाले दिलेश साहू ने बहुत ही जबरदस्त अभिनय किया है। रजनीश झांझी और अंजली सिंह चौहान फिल्म की जान है। अनिकृति चौहान अपनी खूबसूरती अदायगी से दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब रही है, वहीं हसी का खजाना लिए हमेसा की तरह लोगों को गुदगुदाने में कामयाब रहे हेमलाल कौसल, फिल्म में दिखाए गए सभी किरदारों ने अपने किरदारों पर जान डाली है फिल्म का संगीत बैकग्राउंड म्यूजिक सिनेमैटोग्राफी इसका मजबूत पक्ष है.. जो दर्शकों की उम्मीदों में खरे उतरते दिखाई देते हैं।
आपको क्यों देखनी चाहिए यह फिल्म?.
इसका सीधा सा जवाब है जुबली डायरेक्टर सतीश जैन की फिल्म मेकिंग जिस स्टाइल और तरीके से फिल्म निर्माण करते हैं वह बहुत ही यूनिक और अलग रहता है और हर बार की तरह इस बार भी बहुत ही जबरदस्त फिल्म परिवारिक ड्रामा इमोशन, नारी सशक्तिकरण पर बनाई है जो छत्तीसगढ़ी दर्शकों के मन में उत्साह का संचार करती है। यह फ़िल्म बालोद के दोनो सिनेमा में लगा हुआ है।
हर छोटे शहर में खुले थिएटर तो छत्तीसगढ़ी फिल्म को मिलेगा और बढ़ावा
कलाकारों ने मीडिया के जरिए अपनी कुछ समस्याएं रखी। अभिनेत्री अनुकृति चौहान ने कहा छत्तीसगढ़ी फिल्म को बढ़ावा देने के लिए आज छोटे शहरों में भी थिएटर खोले जाने की जरूरत है। सरकार को छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास जरूर करना चाहिए। ताकि गांव गांव की महिलाएं जो दूर-दराज में रहती है वह भी सिनेमा हॉल तक पहुंच सके और अपनी संस्कृति से जुड़ी फिल्मों का आनंद ले सके।
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