महंगाई की मार से आधुनिक कृषि यंत्रों के बजाय अब बैलों पर बढ़ रही निर्भरता, करहीभदर के मवेशी बाजार में बढ़ी रौनकता
बालोद। इन दिनों बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम से आधुनिक कृषि यंत्र की उपयोगिता भी महंगी हो चली है। इस वजह से खेती किसानी भी जमकर प्रभावित हुई है तो किसानों की कमर टूट रही है। ऐसे में महंगाई मुक्त खेती की ओर किसान उन्मुख हो रहे हैं। और इसके लिए पारंपरिक खेती को अपनाया जा रहा है। एक समय था जब कृषि यंत्रों की कहीं कोई नामोनिशान नहीं था। लोग बैलगाड़ी हल आदि से ही खेती किसानी के हर काम कर लेते थे। फसल लेने खेत जुताई, बीज बोने से लेकर कटाई मिंजाई तक पारंपरिक तरीके से होती थी। अब किसान फिर से इस महंगाई की कमर तोड़ मार से बचने के लिए उसी दिशा में लौट रहे हैं। इसका नजारा बालोद जिले के प्रसिद्ध करहीभदर मवेशी बाजार में देखने को मिलता है। जहां पर आज भी कई किसान बैल खरीदने के लिए पहुंचते हैं। महंगाई से उबरने के लिए किसान पारंपरिक खेती को फिर से अपना रहें और बैल जोड़ियां खरीदने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। इससे मवेशी बाजार की रौनकता लौट आई है और किसान भी अपने पुराने दिन को याद कर रहे हैं। हिंदसेना के प्रदेश मुख्य संयोजक तरुण नाथ योगी ने कहा कि जब वे करहीभदर के मवेशी बाजार में किसानों से चर्चा करने पहुंचे तो उनकी जुबां पर यही बात थी कि इस महंगाई के दौर में देखें तो कृषि के लिए हल और बैल से सस्ता कोई साधन नहीं बचा है इसलिए अब हम वापस गो-पालन गौ संवर्धन की ओर लौट रहे हैं और खेती में बैल भैंस का उपयोग फिर से शुरू कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई की मार करहीभदर बैल बाजार में देखा गया। हिंद सेना कि टीम ने जब किसानो से बात किया तो कोचवाही,कोर्गुडा,जामगांव,आमाडुला,सांकरा, मुड़पार,बालोद,कोंगनी,मटिया,धरमपुरा,नर्रा,सहित दर्जनों गांव के किसानों ने बताया डीजल के बढ़ते दाम के कारण हम अब ट्रेक्टर से किसानी करने में असमर्थ है। क्योंकि बढ़ते डीजल के दाम के कारण हमें अपनी फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है जिससे हम अपने परिवार का भरण पोषण करने मे असमर्थ है और हमारी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। इस कारण हम अपने पुर्वजो के पुराने परंपरा अनुसार खेती बाड़ी करने व हल का उपयोग करने के लिये हम आज बैल बाजार से बैल खरीद कर ले जा रहे है। नारागाव निवासी किसान डाक्टर लक्ष्मण साहू का कहना है कि अब हम लोग अपनी पुरानी परंपरा से कृषि कर महंगाई की मार से बचकर परिवार का जीवन यापन कर पाएंगे।