विश्व शिक्षक दिवस विशेष : युगल किशोर देवांगन अपने शाला में कर रहे राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब का संचालन , कठपुतली कला से लाया शिक्षा में नवाचार



बालोद। बालोद जिले के गुण्डरदेही ब्लॉक के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय देवरी ख में पदस्थ शिक्षक युगल किशोर देवांगन अपनी कठपुतली कला के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कठपुतली कला के जरिए शिक्षा व्यवस्था में नई जान डाली है। तो वही शिक्षा को रोचक भी बना दिया है। “कठपुतली वाले गुरु जी” के नाम से प्रसिद्ध युगल किशोर देवांगन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार किए जा रहे हैं। जिसकी सराहना जिला सहित राज्य स्तर पर होती रही है। उनकी कठपुतली कला पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चित है। जिसकी ट्रेनिंग उन्होंने सी. सी. आर. टी. हैदराबाद से ली है और कठपुतली कला के जरिए शिक्षा को रोचक और मनोरंजक बना रहे हैं। इसी के चलते उनका उक्त कला के प्रचार हेतु नोडल अधिकारी बनाया गया। जिसे वे जिले भर के स्कूलों में पहुंचाने के लिए प्रयास करते हैं। खिलौनों के उपयोग पर जिला नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करने का अवसर शिक्षा विभाग ने उन्हे दिया है।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब का संचालन

युगल किशोर ने बताया कि सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र राजस्थान से उन्होंने पुनः रिफ्रेश कोर्स प्राप्त कर अब सी सी आर टी नई दिल्ली के मार्गदर्शन में अब अपने शाला में राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब का संचालन कर रहे हैं। जिसमे विभिन्न कलाकारों क़ो शाला मे आमंत्रित कर बच्चों के सांस्कृतिक क्षेत्र के विकास हेतु प्रेरणादायक कार्य कर रहे हैं. उन्हे उत्कृष्ट शिक्षक का सम्मान और मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण भी प्राप्त हो चुका है। विभिन्न नवाचार और खेल खेल में शिक्षा उनकी प्रमुख विशेषता है।स्कूली पाठ्यक्रम पर आयोजित विस्तृत चर्चाओं में, सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों जैसे नृत्य, नाट्य, संगीत, दृश्य-कलाएँ, साहित्य इत्यादि पर प्रायः कम ध्यान दिया गया है। यद्यपि इस संबंध में स्थिति सुधर रही है और स्कूलों में सांस्कृतिक शिक्षा देने हेतु समर्थन पाने के लिये विशेष प्रयास करने की आवश्यकता नहीं रही है। सांस्कृतिक शिक्षा, शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता से उत्पन्न होती है, जो शैक्षिक मार्गदर्शन के अत्यधिक जुड़ाव की अपेक्षा समकालीन सामाजिक परिस्थितियों और युवाओं तथा बच्चों की कक्षा शिक्षण पर आधारित विविध एवं स्थायी आवश्यकताओं दोनों को सम्मिलित किये हुए होती है। युगल किशोर देवांगन ने कहा मेरा हमेशा से यह विश्वास रहा है कि प्रत्येक को विश्व नागरिक बनने के लिये अपनी संस्कृत्ति एवं विरासत से दृढ़ता से जुड़ा होना चाहिये ।

भारतीय संस्कृति की समृद्धता एवं विविधता, इसकी 10,000 वर्ष पूर्व की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक निरन्तरता, एवं असंख्य अभिव्यक्तियों को बचाये रखने की परम आवश्यकता है। सीसीआरटी का प्रमुख ध्येय भारतीय सांस्कृतिक विरासत का विकास, संरक्षण एवं शैक्षिक प्रचार-प्रसार करना है। इस ध्येय को ध्यान में रखते हुए सीसीआरटी ने विद्यालयों में सांस्कृतिक क्लब की स्थापना करने का कार्य शुरू किया है।

सांस्कृतिक क्लबों के माध्यम से हमारे उद्देश्य हैं

विद्यार्थियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में ज्ञान अर्जित करने के लिये प्रेरित करना ।

विद्यार्थियों को भारतीय कला और संस्कृति के प्रति संवेदनशील बनाना।

भारतीय परम्पराओं की निरन्तरता के प्रति आदर भाव विकसित करना।

कार्ययोजनाओं के द्वारा विद्यार्थियों का संस्कृति की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु सशक्तीकरण कर उन्हें हमारी धरोहर का संरक्षक बनाना।


इस प्रकार सीसीआरटी सांस्कृतिक क्लब वो झरोखे है, जिनके द्वारा आप अपनी धरोहर में झांक सकते हैं, उसका हिस्सा बनकर उसे भली-माति समझ सकते हैं और भावी पीढ़ियों के लिये उसे सुरक्षित रखने के तरीके खोज सकते हैं।

सीसीआरटी सांस्कृतिक क्लब क्या है ?

सांस्कृतिक क्लब ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा विद्यार्थी स्वयं को भारत की सांस्कृतिक धरोहर के बारे में और अधिक जानकारी के लिये संगठित कर सकते हैं। शिक्षकों के लिये यह भारतीय कलाओं के प्रति उन्हें जागृत कर उनमें इनके लिये सम्मान एवं सराहना उत्पन्न करने का एक माध्यम है। साथ ही इसमें विद्यार्थियों को कार्य योजनाओं द्वारा भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं के संरक्षण के लिये प्रेरित करना भी निहित है।

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