गुमनाम प्रतिभाशाली शिक्षकों को दिलाई इस संस्था ने पहचान

बालोद। विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर पर हम बालोद जिले के एक ऐसे संस्था के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने कम समय में अपनी प्रतिष्ठा पूरे राज्य में बनाई है। बात कर रहे हैं एनटीसीएफ जिसका पूरा नाम नॉवेल टीचर्स क्रिएटिव फाउंडेशन है आज से लगभग 5 साल पहले 2020 में इस संस्था फाउंडेशन की शुरुआत की गई थी और 5 अक्टूबर 2020 के विश्व शिक्षक दिवस पर पहला ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें राज्य के कई शिक्षकों ने भाग लिया। कोरोना काल में ऑनलाइन कार्यक्रम फिर कोरोना काल के बाद विविध आयोजनों के जरिए एनटीसीएफ ने अपनी अलग पहचान बनाई है। यह संस्था खास तौर से शिक्षकों के हित में ही कार्य करती है। बालोद जिला ही नहीं अपितु राज्य के कोने-कोने से प्रतिभाशाली गुमनाम शिक्षकों की तलाश कर उन्हें उचित मंच प्रदान करती है। उन्हें उनके प्रतिभा के अनुसार अवार्ड देकर सम्मानित करती है। हर साल शिक्षक दिवस सहित विभिन्न अवसरों पर सम्मान समारोह का आयोजन इस फाउंडेशन के द्वारा किया जाता है। इस संगठन में कई अनुभवी, वरिष्ठ और विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित शिक्षक भी जुड़े हुए हैं।
10 उद्देश्यों को लेकर काम करती है एनटीसीएफ
एनटीसीएफ के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण कुमार साहू ने संस्था के उद्देश्यों के बारे में बताया कि शिक्षकों में विभिन्न प्रदेशों की शैक्षिक संस्कृति की पहचान स्थापित करना ,शिक्षकों में कला साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता जागृत करना, शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक अनुसंधान से परिचित कराना, शैक्षिक कार्यक्रमों एवं सूचनाओं से शिक्षक लाभान्वित करना पाठ्य सहगामी क्रिया कलाप एवं एवं स्कूल गतिविधि का संचालन करना, महान शिक्षाविद विभूतियों एवं महत्वपूर्ण अवसरों पर कार्यक्रम का संस्मरण आयोजन करना, शिक्षकों के शैक्षिक उन्नयन हेतु वर्कशॉप सेमिनार का आयोजन करना, भारत की सांस्कृतिक विरासत के मूल्यों का संवर्धन एवं संरक्षण करना, शिक्षकों की सृजनात्मक प्रतिभा एवं उपलब्धियों को प्रोत्साहित करना आदि उद्देश्य है।
जानिए कब और क्यों हुई थी विश्व शिक्षक दिवस की शुरुआत?
हर साल 5 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व शिक्षक दिवस (World Teacher’s Day) मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ शिक्षकों के योगदान का सम्मान करने के लिए ही नहीं, बल्कि उनके सामने आने वाली चुनौतियों और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए जरूरी बदलावों पर चर्चा करने का अवसर भी देता है।
साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। इसकी नींव 1966 में रखी गई थी, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सिफारिश अपनाई गई थी, जिसमें शिक्षकों के अधिकार, जिम्मेदारियां, प्रशिक्षण और काम की परिस्थितियों से जुड़े मानक तय किए गए थे। बाद में 1997 में उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों को भी इसमें शामिल किया गया।
विश्व शिक्षक दिवस की थीम
इस साल विश्व शिक्षक दिवस की थीम है- “शिक्षण को सहयोगी पेशे के रूप में पुनर्परिभाषित करना”। दरअसल, आज भी कई शिक्षक अकेलेपन और सीमित संसाधनों के बीच काम करते हैं। न तो उन्हें पर्याप्त मार्गदर्शन मिलता है और न ही सहकर्मियों के साथ ज्ञान साझा करने के अवसर। इसका असर न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ता है, बल्कि शिक्षक लंबे समय तक इस पेशे में टिके भी नहीं रह पाते। इस साल का संदेश यही है कि अगर शिक्षा को बदलना है तो शिक्षण को केवल व्यक्तिगत प्रयास न मानकर साझेदारी और सहयोग का पेशा बनाया जाए। जब शिक्षक मिलकर विचार साझा करेंगे, एक-दूसरे की मदद करेंगे और जिम्मेदारी को बांटेंगे, तभी शिक्षा अधिक प्रभावी और प्रेरक बन सकेगी।
विश्व शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि समाज में समानता, नवाचार और परिवर्तन के बीज बोते हैं। वे बच्चों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस सिखाते हैं, लेकिन अगर उन्हें पर्याप्त सहयोग, सम्मान और अवसर न मिले तो शिक्षा की पूरी व्यवस्था कमजोर हो सकती है। विश्व शिक्षक दिवस 2025 हमें यही याद दिलाता है कि शिक्षा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए शिक्षक और सहयोग, दोनों का साथ होना जरूरी है। जब शिक्षण पेशा सहयोग और साझा जिम्मेदारी पर आधारित होगा, तभी शिक्षक अपनी पूरी क्षमता से बच्चों और समाज को दिशा दे पाएंगे।
