महिला दिवस विशेष: त्रिस्तरीय पंचायती राज में सशक्त हो रही महिलाएं, अब पतियों के हाथों की नहीं रही कठपुतली, खुद ही लेती है निर्णय, गांव और नगर की विकास में भी है उनकी भागीदारी

बालोद। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणाम के जरिए विभिन्न स्तरों पर चुनाव जीतकर आई महिलाओं के बारे में बतला रहे हैं। जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो रही है। यह महिलाएं स्वयं नेतृत्व करने के काबिल है। अब महिलाएं कठपुतली नहीं बल्कि खुद निर्णय लेने लगी है। पहले माना जाता था कि पंचायती राज में चुनाव भले पत्नियां जीतती हैं। पर पंचायत में चलता पतियों का राज है। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। महिलाएं ही अब पंचायती काम काज संभालने लगी है और यही वजह है कि इस बार आरक्षण के चलते कई जगह महिला सीट घोषित होने के साथ महिलाओं ने बढ़-चढ़कर चुनाव में हिस्सेदारी दिखाई। कोई सरपंच तो कोई जनपद तो कोई जिला पंचायत तो कोई नगर पंचायत के चुनाव जीतकर आए हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमने कुछ चुनिंदा जीत कर आई महिला जनप्रतिनिधियों से बात कर उनकी राय जानने की कोशिश की। ताकि अन्य महिलाएं भी उनके कार्यों से प्रभावित हो और हालातो से हारने के बजाय उनका सामना कर महिला अबला नहीं सबला है यह समझ और हौसला हर महिला अपने अंदर बनाए रखें।

क्या कहा इन महिलाओं ने

जिला पंचायत की नवनिर्वाचित सदस्य नीलिमा श्याम ने कहा कि एक वक्त था जब मुझे कठिन हालातो का सामना करना पड़ा। बुरे दौर से मैं गुजरी । लेकिन भीतर से मैंने हार नहीं मानी और जब जिला पंचायत चुनाव लड़ने का अवसर आया तो मैंने अपना हौसला कायम रखते हुए निर्दलीय ही मैदान में उतरी और जीत हासिल की। जनता जनार्दन का प्यार मुझे मिला। मैं समझती हूं कि हर महिला को हौसला और हिम्मत दिखानी चाहिए और सच का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। सच्चाई की जीत एक न एक दिन जरूर होती है। महिला दिवस हर महिला के सम्मान का दिवस है जो अपने जीवन में कुछ हटकर अलग कर गुजरती हैं। ऐसे में इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम “एक्सीलरेट एक्शन” रखी गई है. जिसका मतलब “तेजी से कार्य करना” है. यह थीम हमें बताती है कि हमें अपने ऊपर बहुत मेहनत और तेजी से काम करने की जरूरत हैं।

जिला पंचायत सदस्य पूजा साहू ने कहा कि महिलाएं आज हर मुकाम हासिल कर रही है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओं की पकड़ मजबूत नहीं हो। पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने के साथ-साथ अब पुरुषों से भी आगे निकलकर महिलाएं एक नई ऊंचाई छू रही है। महिलाओं का जज्बा इसी तरह बरकरार रहना चाहिए। एक वक्त होता था कि पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को अपने इशारों पर नचाना चाहता था। अब महिलाएं स्वयं निर्णय लेती है। जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतने के बाद से वह काफी उत्साहित है और उनका मानना है कि अपने 5 साल के कार्यकाल में वह कुछ ऐसा कार्य जरूर करेंगे कि हर महिला उन पर गर्व करें और आने वाले पंचवर्षीय के जनप्रतिनिधि उनके कार्यकाल को याद रखें।

पीरीद की सरपंच रुपोतिन साहू ने कहा कि महिला दिवस मनाने के पीछे प्रमुख कारण महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने, लोगों को जागरूक करने और पीड़ितों को मदद देने वाली सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत पर बड़ा कदम उठाना है। साथ ही आज भी दुनियाभर में महिलाएं वेतन असमानता, लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा और कार्यस्थल पर असमान अवसरों का सामना कर रही हैं. इस दिवस का मकसद है कि इन सभी समस्याओं पर जल्द से जल्द कोई तेजी से कदम उठाए जाए। पंचायती राज में आरक्षण के चलते महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका जरूर मिला है । मैं एक गृहणी थी। कल्पना भी नहीं की थी कि कभी गांव की सरपंच बन जाऊंगी। लेकिन अपने भीतर हौसला जगाकर कर मैंने चुनाव मैदान में फतह हासिल की। और अपने ग्राम का प्रथम महिला सरपंच बनने का सौभाग्य भी मुझे प्राप्त हुआ।

कुरदी की सरपंच पूनम साहू ने कहा कि अगर परिवार में पुरुषों का साथ मिले तो महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है। मैं किसी से भेदभाव नहीं रखती। सब समाज में बराबर हैं। मेरे पति का समर्थन ही था कि मुझे इस पंचायत चुनाव में सफलता हासिल हुई। मेरे पति संजय साहू के कार्यकाल में हुए विकास कार्य के कारण जो मैं इस पंचायत चुनाव में आई तो मुझे भी जनता ने आशीर्वाद दिया। जनता में एक महिला जनप्रतिनिधि से भी कई आशाएं होती है। मैं उनके आशाओं पर खरा उतरूंगी और यह कभी शिकायत का मौका भी नहीं दूंगी की मैं स्व निर्णय लेने में कमजोर हूं। जबकि बल्कि गांव के हित के मामले में सबके साथ मिलकर हम विकास करेंगे । महिला पुरुष सभी बराबर हैं ।किसी तरह से भेदभाव नहीं रखेंगे।

घीना की स्नातक शिक्षित सरपंच प्रणिका जैन ने कहा महिला दिवस का दिन महिलाओं की शक्ति, संघर्ष और सफलता को समर्पित है. 2025 की महिला दिवस हमें यह संदेश देती है कि अब समय आ गया है कि हम लैंगिक समानता की दिशा में तेजी से कार्य करें. आपने देखा होगा, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है फिर चाहे वह विज्ञान हो, खेल हो या टेक्नॉलजी. लेकिन फिर भी समाज में अब भी कई चुनौतियां महिलाओं को लेकर बनी हुई हैं. इसलिए हमें मिलकर महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। इस महिला दिवस पर हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे और हम एक समानता भरा समाज बनाएंगे

जगन्नाथपुर की जनपद सदस्य दमयंती हरदेल ने कहा कि आज हम सब यहां अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, जो कि महिलाओं की उपलब्धियों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित दिन है। आज की महिला हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि उन्हें अभी भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष महिला दिवस 2025 की थीम “ तेजी से कार्य करना हैं”, यह हमें प्रेरणा देती है कि महिलाओं की समानता और स्वतंत्रता के लिए हमें और अधिक तेज़ी से कार्य करना होगा. एक सशक्त महिला ही अपने परिवार और सशक्त समाज का निर्माण करती है. इसलिए, आइए, इस महिला दिवस यह प्रण लें कि हम महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता के अधिक अवसर प्रदान करेंगे और उनके साथ हर कदम पर खड़े रहेंगे

दल्ली राजहरा की वार्ड 26 की पार्षद टी ज्योति ने कहा कि उन्होंने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़कर जनता का प्यार और दुलार हासिल किया। उनकी इस बार की जीत साबित करती है कि अगर महिलाएं ठान ले तो हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती है.आज 8 मार्च का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि यह एक आंदोलन है, एक सोच है, एक समर्पण है उन महिलाओं के लिए जिन्होंने समाज को नई दिशा दी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करें तो महिलाओं को अपने हक के लिए पहले खुद से लड़ना होगा, ताकि वह दुनिया से लड़ने में मजबूत हो सके. हम अभी कदम नहीं उठाएंगे, तो समानता की यह दौड़ और लंबी हो जाएगी. महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है. जब हम बेटियों को आगे बढ़ने का मौका देंगे, जब हम महिलाओं को निर्णय लेने का हक देंगे, तभी असली समानता आएगी. आज, हम सभी यह प्रण लें कि हम महिलाओं का समर्थन करेंगे, उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।

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