इस गांव में मिनी स्टेडियम का निर्माण बना मजाक ? 50% काम पूरा होने के बाद शासन ने कर दिया रिकॉर्ड में कार्य निरस्त , ठेकेदार कह रहे कोर्ट जाने की बात तो अफसर दे रहे आश्वासन: रुको जरा सब्र करो……
सरकार बदलने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई, खामियाजा भुगत रहे स्थानीय युवा और ग्रामीण, आठ महीने से काम है बंद , जगन्नाथपुर में 8 महीने से बंद पड़ा है स्टेडियम का काम
दीपक यादव ,बालोद। शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में भी खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के दावों के साथ मिनी स्टेडियम बनाने की योजना तो लाई गई लेकिन हकीकत में वह योजनाएं धरातल पर कितनी कारगर साबित हुई है यह भली भाती ग्रामीण जान रहे हैं। ऐसा ही एक मिनी स्टेडियम का मामला ग्राम जगन्नाथपुर में सामने आया है। जहां मिनी स्टेडियम निर्माण कार्य मजाक बनकर रह गया है। पिछली सरकार के समय से स्वीकृत और प्रारंभ हो चुके इस कार्य को विधानसभा चुनाव के बाद अधिकारियों ने शासन के पत्र का हवाला देकर कहा कि यह कार्य निरस्त हो चुका है। इसके बाद होली के बाद यानी मार्च से लगभग 8 महीने हो गए काम बंद पड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना के तहत ग्राम पंचायत जगन्नाथपुर में गौठान के बगल में इस मिनी स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा था। लगभग 40 से 50% काम पूरे भी हो चुके थे। 3 मई 2024 तक इस काम को पूरा किया जाना था। 19 जनवरी 2024 को काम शुरू हुआ था। लेकिन शासन के पत्र ने सब ठप कर दिया। इस पर पंचायत प्रशासन सहित संबंधित ठेकेदार ने भी आवाज उठाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो शासन से एक पत्र आया था। जिसमें अप्रारंभ कार्यों की स्वीकृति निरस्त किए जाने का उल्लेख था। जबकि जगन्नाथपुर में मिनी स्टेडियम का कार्य प्रारंभ हो चुका था यानी उसे अप्रारंभ कार्यों के सूची में शामिल नहीं किया जाना था। लेकिन कहां किसने गलती की, किसकी लापरवाही हुई कि प्रारंभ कार्य को भी अप्रारंभ की सूची में शामिल कर दिया गया और कार्य निरस्त होने से मिनी स्टेडियम बनते बनते रह गया। आज इस गांव में मिनी स्टेडियम का सपना मानो अधूरा सा हो गया है। अधूरे निर्माण कार्य शासन के विकास योजनाओं के मुंह चिढ़ा रहे हैं। मिनी स्टेडियम के तहत बाउंड्री वॉल बनाया जा रहा था। वह भी अधूरा है। कुछ कमरों का निर्माण होना था वह भी डीपीसी के बाद आगे बढ़ा ही नहीं है। नतीजा अब मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। शासन की अच्छी भली योजना मानो राजनीति की भेंट चढ़ गई। सत्ता परिवर्तन क्या हुआ यहां काम ही रुक गया जबकि इस मिनी स्टेडियम के बनने से क्षेत्र के युवाओं को काफी लाभ होना था। आज भी जगन्नाथपुर में खेल के लिए कोई सुरक्षित मैदान नहीं है। मिनी स्टेडियम इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा था ताकि खिलाड़ियों सहित ग्रामीणों को खेल सहित अन्य आयोजनों में सुविधा हो। पर सुविधा मिलने के बजाय विभागीय लापरवाही कहें या सत्ता परिवर्तन की परिस्थितियां और राजनीति कि काम होते-होते भी अधूरा रह गया।
क्या कह रहे ठेकेदार
इस संबंध में निर्माण एजेंसी के ठेकेदार भोपेंद्र देशमुख से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि आरईएस यानी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के तहत इसमें 31 लाख 61 हजार रुपए का स्वीकृत हुई थी। साथ ही मनरेगा के तहत भी कार्य होने थे। जिसमें मैं 40 से 50% काम पूरा भी कर चुका था। 12 लाख का बिल भुगतान भी मुझे हो चुका है। यानी कार्य प्रारंभ स्थिति में ही था। आधा काम लगभग बचा था। अचानक विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग बालोद के अधिकारियों द्वारा बताया गया की शासन से पत्र आया है जिसमें उक्त कार्य निरस्त बताया जा रहा है। कार्य को अप्रारंभ स्थिति में मान लिया गया है। मैंने कहा कि काम तो पहले से शुरू हो चुका है तो अप्रारंभ कैसे हो सकता है। अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए और इस समस्या को सुलझाया ही नहीं। ठेकेदार ने कहा कि मैं दो-तीन माह देख लेता हूं अगर काम शुरू करने का आदेश नहीं आता है तो फिर आगे मैं कोर्ट का रास्ता अपनाऊंगा। इस पर अधिकारियों ने भी शासन के आदेश निर्देश का इंतजार करने का आश्वासन दिया लेकिन अब लगभग 8 महीने बीतने को आ रहे हैं इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। ठेकेदार भोपेंद्र कुमार देशमुख का कहना है कि कार्य अप्रारंभ रहता और निरस्त होता तो समझ में आता। लेकिन कार्य शुरू हो चुका था। चुनाव से पहले ही टेंडर लग चुका था । हमने 40 से 50% काम पूरा भी कर दिया था। इसके बाद काम रुकवाया जाना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। अगर न्याय नहीं मिला तो इस मामले में हम कोर्ट तक जाएंगे। हम चाहते हैं कि बाकी काम भी पूरा हो और शासन जो भी राशि बची है उसे स्वीकृत कर मिनी स्टेडियम के निर्माण को गति प्रदान करें। लेकिन स्थानीय अधिकारी भी शासन के आदेश की आड़ लेकर इस पर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।
क्या कह रहे सरपंच
वहीं जगन्नाथपुर सरपंच अरुण साहू ने भी कहा कि काम निरस्त हो गया है। जिसे वापस लाने के लिए हम प्रयास कर रहें। पर स्थानीय शासन प्रशासन का हमें सहयोग नहीं मिल रहा है। काम शुरू हो चुका था। लगभग 8 महीने से काम बंद है। मिनी स्टेडियम ग्राम जगन्नाथपुर वासियों का एक सपना है। लेकिन यह पूरा नहीं हो पा रहा है।अगर कार्य निरस्त नहीं हुआ होता तो मई तक काम पूरा हो चुका होता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से स्वीकृत 31.61 लाख की अलावा मनरेगा के तहत 19 लाख का काम उसमें होना था।
जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं दे रहे कोई ठोस जवाब
वही इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ संजय कन्नौजे से भी जब हमने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया और वाट्सएप मैसेज के जरिए संबंधित विभाग से अपडेट लेने की बात कही। आरईएस विभाग के ईई राजकुमार खोब्रागढ़े भी इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। उनसे भी हमने इस मामले में संपर्क करने का प्रयास किया। इस तरह देखा जाए तो जिम्मेदार अधिकारी इस मामले से बचते नजर आ रहे हैं और मिनी स्टेडियम का निर्माण मजाक बन गया है। इस मामले में जिला पंचायत के अधिकारी इसलिए कटघरे में है क्योंकि भले ही योजना ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के तहत है लेकिन यह पूरा जिला पंचायत प्रशासन की निगरानी में हो रहा था और सूत्रों से यह भी पता चलता है कि कार्यों की वर्तमान प्रगति स्थिति जाने बगैर शासन को विधानसभा चुनाव के बाद जिला पंचायत से रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसके उपरांत फिर जिले भर में कई कार्य निरस्त कर दिए गए। पर उनमें अप्रारंभ कार्य ही शामिल करने थे। पर जगन्नाथपुर में प्रारंभ हो चुका कार्य भी निरस्त की सूची में आ गया जो विभागीय लापरवाही को भी उजागर करता है।