November 21, 2024

दीवाली विशेष – बेटियों के नाम से जगमगाएगा जगन्नाथपुर, इस दिवाली भी जलेंगे लक्ष्मी पूजन पर घर-आंगन में बेटियों के सम्मान में 5-5 दीपक , कका की नन्ही फैन वैष्णवी है इस अभियान की प्रेरणास्रोत

यादव परिवार की पहल “बेटी है तो कल है” अभियान को हुए 4 साल, गांव में मिट्टी के दीपक वितरण जारी

बालोद/ रायपुर।

कका यानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नन्हीं फैन बालोद जिले की जगन्नाथपुर की रहने वाली वैष्णवी यादव तो आपको याद ही होगा। जो हाल ही में भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से मिलने के बाद चर्चा में आई थी। यह बेटी एक खास अभियान की प्रेरणा स्रोत भी है। जो इस दिवाली अपने अभियान को आगे बढ़ा रही है। दरअसल में वैष्णवी और उनके परिवार के लोग हर साल दिवाली में बेटियों के सम्मान में 5-5 मिट्टी के दीपक वितरण कर गांव में दीये जलाते हैं। लगभग 200 से 250 परिवारों को मिट्टी का दीपक वितरण किया जाता है। खुद बेटी वैष्णवी मिट्टी के दीपक घर-घर जाकर बांट रही है। लोगों को बेटी है तो कल है के संदेश के साथ प्रोत्साहित कर रही है। यादव परिवार ने इस पहल के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी आभार जताया। जिन्होंने बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए हमर बेटी हमर मान अभियान शुरू किया है। ग्राम जगन्नाथपुर में यादव परिवार द्वारा बेटी है तो कल है थीम पर चौथे वर्ष में प्रवेश करते हुए दिवाली मनाई जाएगी। इसके लिए इस बार भी यादव परिवार द्वारा ग्रामीणों को हर घर पांच-पांच मिट्टी के दीपक वितरित किए जा रहे हैं। इस अभियान की शुरुआत चार साल पहले हुई थी, जो लगातार जारी है। लक्ष्मी पूजन की शाम यानी दिवाली की रात को यहां की गलियां और आंगन बेटियों के नाम से रोशन होगी। ग्रामीण रंगोली सजाकर अपने घर आंगन में बेटियों के नाम से दीपक जलाएंगे। बेटियों का सम्मान बढ़ाने के लिए यह पहल यादव परिवार द्वारा शुरू की गई है। जिसे काफी सराहा जाता है। बेटी-बेटा में फर्क दूर करने के लिए यह अभियान शुरू हुआ था। जो एक नए रूप में सामने आया और इससे कई लोग प्रभावित व प्रेरित होने लगे हैं। दिवाली के पहले ही यादव परिवार द्वारा मोहल्ले के लोगों को घर-घर जाकर पांच-पांच मिट्टी के दीपक का वितरण भी किया जा रहा है। इस यादव परिवार की मुखिया मधु लता यादव ने बताया कि उनकी पोती वैष्णवी रानी इस अभियान की प्रेरणा स्रोत है। अक्सर देखते हैं कि परिवार में बेटा पैदा होने पर बेटी पैदा होने के तुलना में ज्यादा खुशियां मनाई जाती है। बेटा-बेटी में आज भी कहीं ना कहीं भेदभाव देखा जाता है। इस फर्क को दूर करने के लिए जब उनके परिवार में पोती हुई तो पोते से ज्यादा खुशियां पोती की जन्मदिन पर मनाई गई।

जिसके नाम से बांटे जाते हैं दीपक वह बेटी “कका की नन्हीं फ्रेंड” के नाम से भी छत्तीसगढ़ में है चर्चित

इस बार की दिवाली खास भी है क्योंकि जिस बेटी के नाम से विगत 3 साल से यादव परिवार बेटी है तो कल है थीम पर दीपक बांटकर बेटियों का सम्मान बढ़ा रहे थे। वह बेटी वैष्णवी रानी यादव अब “कका” यानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नन्हीं फ्रेंड( फैन) के नाम से भी छत्तीसगढ़ में चर्चित है। जो हाल ही में भेंट मुलाकात जगन्नाथपुर आगमन के समय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिल चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोद में उठा कर उन्हें प्यार दिया, दुलारा। उनके वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हुए थे। कका की नन्हीं फ्रेंड और फैन के नाम से चर्चित वैष्णवी के लिए यह दिवाली खास रहेगी। पहले माता-पिता व दादी ग्रामीणों को दीपक वितरण करने के लिए घर घर जाते थे। इस बार खुद वैष्णवी व उनका भाई विजय घर-घर जाकर लोगों को बेटियों के सम्मान में दीपक जलाने के लिए 5-5 मिट्टी के दीपक वितरित कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

ऐसे हुई थी शुरुआत

चार साल पूर्व जब 14 जून को बहु माधुरी यादव का प्रसव सांकरा ज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जब अस्पताल से छुट्टी हुई तो इस बेटी को लक्ष्मी स्वरूप मानकर गृह प्रवेश कराते हुए पूजा अर्चना की गई तो वहीं नामकरण संस्कार पर भी बेटी की ओर से लोगों को कार्ड जारी किया गया। जिसमें बेटी है तो कल है, का संदेश देते हुए लोगों को बेटियों को प्रोत्साहन देने के लिए पहल शुरू की गई।

तत्कालीन कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने भी इस प्रयास के लिए यादव परिवार को बधाई भेंट प्रेषित किया था। साथ ही इस बेटी के नामकरण उत्सव को भी बेटी बचाओ बेटी पढाओ व पर्यावरण संरक्षण थीम के साथ मनाया गया था। बेटी है तो कल है इस थीम को फिर यादव परिवार ने एक प्रेरक वाक्य दर्शाते हुए हर दिवाली में बेटियों के नाम से पांच-पांच दीपक जलाने की परंपरा शुरू की है और इस मुहिम में सिर्फ एक परिवार नहीं बल्कि गांव के कई परिवार बेटियों के सम्मान में दिवाली की शाम को दीये जलाते हैं।

इस पहल से गांव का सम्मान बढ़ता हैः सरपंच

सरपंच अरुण साहू ने बताया कि यादव परिवार की इस पहल से गांव का सम्मान भी बढ़ता है। उक्त परिवार की पहल अनुकरणीय है। समाज में हमेशा के लिए बेटी बेटा का फर्क दूर होना चाहिए। लोगों को नजरिया बदलने की जरूरत है। यादव परिवार का कहना है कि इसी के लिए वे प्रयास कर रहें हैं कि बेटी, बेटा में कोई भी अंतर ना माना जाए। लोग सोच बदले समाज अपने आप बदल जाएगा। परिवार में बेटी हो या बेटा दोनों के जन्म पर एक जैसी खुशियां मनाई जाए। अक्सर देखते हैं कि बेटे की आस में परिवार में जनसंख्या भी बढ़ जाती है। फिर आगे चलकर परेशानी और बढ़ने लगती है।

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