हाथियों की धमक अब जंगल से स्कूल तक, तालगांव में जारी उत्पात, कच्चे मकान को भी ढहाया, स्कूल में पढाई बंद, अब कहां हैं चंदा दल पढ़िए खबर

बालोद। बालोद जिले में हाथियों का उत्पात जारी है। अब इनका प्रवेश जंगलों के साथ बस्ती और तो और स्कूलों तक भी होने लगा है। इस क्रम में लगातार नर्रा और ताल गांव क्षेत्र में विचरण कर रहा हाथियों का झुंड अब बस्ती और स्कूल तक आ पहुंचा। ताल गांव के प्राइमरी स्कूल के गेट में भी तोड़फोड़ करने का प्रयास हाथियों ने किया। तो वही इस दहशत में सोमवार को शिक्षा विभाग को स्कूल बंद करना पड़ा ।सुबह से सूचना जारी की गई कि इस गांव में हाथी आ गए हैं। इसलिए पढ़ाई नहीं हो पाएगी। शिक्षा विभाग ने प्रधान पाठक को स्कूल न लगाने निर्देश दे दिया।

इतना ही नहीं इस गांव में स्थित राधेलाल के मकान को भी हाथियों ने बुरी तरह से ढहा दिया। जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। गनीमत यह थी कि जब हाथी उनके घर के पास पहुंचे तो उस वक्त घर पर कोई नहीं था। राधेलाल अपने अन्य परिजनों के साथ बस्ती की ओर एक घर में खाना खाने गया था। अगर घर पर रहते तो बड़ी घटना घट जाती । विभाग द्वारा लगाए गए विभिन्न सूचना बोर्ड और हनुमान मंदिर तक को भी हाथियों ने तो डाला है। जगह-जगह तोड़फोड़ के निशान नजर आ रहे हैं। जिस कच्चा मकान को तोड़ा गया है वहां पूरी तरह से मलबा ढह गए हैं। तो वहीं ग्रामीणों का गांव में रहना मुश्किल हो रहा है। वन विभाग की टीम रात भर हाथियों की निगरानी में जुटी रही पर हाथियों का दल आसपास ही बना हुआ है। ताल गांव के लोगों का गांव से निकलना मुश्किल हो गया है। हाथियों की मौजूदगी तालगांव से तांदुला डुबान के आस पास भी है। ऐसे में यह शहर से भी ज्यादा दूर नहीं है। तांदुला के आदमाबाद क्षेत्र से कलेक्ट्रेट लगा हुआ है और कलेक्ट्रेट से सिवनी और बालोद की बस्तियां। विभाग व लोगों की भी चिंता है कि कहीं हाथियों का झुंड शहर की ओर ना दौड़ पड़े। क्योंकि रातों-रात हाथी 5 से 10 किलोमीटर तक का भी फासला तय कर ले रहे हैं। कभी इस ब्लॉक से उस ब्लॉक तो कभी एक जंगल से दूसरे परिक्षेत्र के जंगल में दाखिल हो रहे हैं। ऐसे में हाथियों का भरोसा नहीं है और वे लगातार मार्ग बदलकर इधर से उधर जा रहे हैं।

सुबह 4:30 बजे से ताल गांव में तबाही के मंजर

लगातार वन विभाग हाथियों का लोकेशन प्रत्यक्ष निगरानी से पता कर रहा है। इस क्रम में 11 जुलाई को सुबह 4:30 बजे से उनका लोकेशन ताल गांव में था। पर सुबह जब लोग और वन विभाग का अमला यहां मुआयना के लिए पहुंचा तो जगह-जगह तबाही के मंजर देखकर हैरान रह गया। कुछ वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें हाथी तोड़फोड़ कर रहे हैं। तो सड़क पार कर रहे हैं। तालगांव के अलावा आदमाबाद विश्राम गृह, संयुक्त जिला कार्यालय, रक्षित केंद्र, झलमला, सिवनी, देवतराई, सेमर कोना, अंधिया टोला को विभाग ने अलर्ट क्षेत्र में रखा हुआ है। इन इलाकों में लोगों की आवाजाही पर मनाही की जा रही है ।ताकि किसी तरह की घटना ना हो।

स्कूल में किया घुसने का प्रयास

प्राथमिक शाला तालगांव में रात के करीब 2:00 बजे हाथियों ने स्कूल में घुसने का भी प्रयास किया। जहां ताला लगा हुआ था। जिसके चलते गेट के पास ही अस्त-व्यस्त करते हुए हाथी आगे बढ़े हैं। तो वहीं गांव के बाहरी क्षेत्र में जो भी बोर्ड या मूर्तियां लगी हैं उन्हें बुरी तरीके से तोड़ दिया गया है। वन विभाग की सूचना बोर्ड भी धराशाई हो गए हैं।

डेढ़ साल से बना है हाथियों का बालोद जिले में आने-जाने का सिलसिला

ज्ञात हो कि हाथियों का बालोद जिले में आने-जाने का सिलसिला करीब डेढ़ साल से बना हुआ है। हाथियों का झुंड कभी धमतरी जिला तो कभी कांकेर तो कभी बालोद जिला में लगातार विचरण कर रहा है। वन विभाग के डीएफओ आयुष जैन का मानना है कि इन इलाकों के जंगल इन हाथियों के लिए अनुकूल माहौल पैदा कर रहें। जिसके चलते वे इस इलाके को छोड़कर नहीं जा पा रहे हैं। विगत माह में हाथियों का झुंड महाराष्ट्र की ओर राजनांदगांव जिले से होते हुए बढा भी था। लेकिन फिर से वापस कांकेर होते हुए बालोद दाखिल हो गया है। यहां उपलब्ध जल स्रोत, जंगलों के हरे भरे पत्ते हाथियों के भोजन के प्रमुख साधन बन रहे हैं। इस वजह से चंदा हाथियों का दल इलाके को छोड़कर नहीं जा रहा है। हालांकि इस बीच किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हाथियों के हमले से दो मौतें भी हो चुकी है। तो वहीं लगातार फसल और मकानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि इस बरसात में हाथी लोगों पर इतना कहर ढाते हैं। सोमवार की रात 9 बजे तक की स्थिति में भी तालगांव में हाथी घूम रहे थे।

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