ध्यान दें जनाब – थर्ड जेंडर को किन्नर या मामू बोलना भी होगा अपराध, पुलिस दर्ज करेगी एफआईआर
सभी थाना प्रभारियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण, प्रशिक्षण देने के लिए पहुंची थर्ड जेंडर कल्याण बोर्ड की सदस्य रवीना बरिहा
बालोद। अब पुलिस वालों को भी किन्नरों के अधिकारों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह इसलिए क्योंकि उन्हें भी समानता का हक है और उनके साथ अगर कोई घटना होती है तो उनकी भी उसी तरह से सुनवाई और केस फाइल होनी चाहिए जैसे औरों का होता है। इसके लिए पुलिस वालों को भी ये जानना जरूरी है कि किन किन मामलों में किन्नर अगर आवाज उठाते हैं तो एफ आई आर दर्ज कर सकते हैं। जिसके लिए सभी थाना प्रभारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बालोद में भी इस तरह का एक प्रशिक्षण हुआ। जहां ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की सदस्य रवीना बरिहा विशेष रूप से प्रशिक्षण देने के लिए मौजूद रहे और उन्होंने किन्नरों के अधिकारों से जुड़े कानूनी प्रावधानों के बारे में भी विस्तार से बताया। पुलिस कार्यालय बालोद में एएसपी डीआर पोर्ते और उप पुलिस अधीक्षक नवनीत कौर, निरीक्षक अनिल ठाकुर, निरीक्षक बीआर साहू, और विभिन्न थाना से अधिकारी/कर्मचारी तथा कार्यालय के सभी अधिकारी/ कर्मचारी को ट्रांसजेंडर के कानूनी अधिकार तथा ट्रांसजेंडरों पर घटित अपराधो के संबंध में जरूरी कानूनी प्रावधानों की जानकारी ट्रांसजेंडर रवीना बरिहा ने दी। इस दौरान ट्रांसजेंडर गोपी, आयशा, मधु उपस्थित थे। थर्ड जेंडर व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम पर पुलिस अधिकारियों के लिए ये कार्यशाला का आयोजन किया गया था। विषय विशेषज्ञ के रूप में थर्ड जेंडर कल्याण बोर्ड की सदस्य रवीना बरिहा रही। पुलिस मुख्यालय के आदेशानुसार एवं जिला पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में रवीना बरिहा ने थर्ड जेंडर व्यक्ति के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम 2019 एवं उपनियम 2020 के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में किन्नर ( उभय लिंगी व्यक्ति) को सम्मान के नजरों से देखा जाता था। वर्ष 1871 में ब्रिटिश काल में कानून पारित कर किन्नर समुदाय को अपराधी घोषित कर दिया गया। किन्तु बाद में सरकार ने थर्ड जेंडर समुदाय को भी कानूनी मान्यता प्रदान करते हुए वर्तमान में बराबरी का दर्जा देकर शासकीय सेवाओं में भी आरक्षण का प्रावधान किया है। भारत सरकार ने 2011 के जनगणना में पहली बार किन्नरों को शामिल किया और 2019 में उनके अधिकारों के लिए कानून लाया गया। कानून के बारे में प्रकाश डालते हुए रवीना ने कहा कि किसी भी उभय लिंगी को वेश्यावृत्ति, बंधुवा मजदूर, आम जगह पर जाने से रोकने, घर या गाँव से निकालने, छक्का, किन्नर या मामू बोलने या सेक्सुअल एब्यूज करना अपराध है। पुलिस के पास ऐसी शिकायत आने पर अधिनियम के धारा 18 (अ )के तहत मामला दर्ज कर किया जा सकता है ।
शरीर और मन से अलग होना उभयलिंगी है:-
रवीना ने कहा कि सिर्फ आंतरिक अंग विकसित नही होने मात्र से व्यक्ति किन्नर नहीं हो जाता बल्कि इसके लिए शरीर और मन से अलग होना जरूरी है। उभय लिंगी -लेस्बियन( स्त्री से स्त्री का शारीरिक या मानसिक संबंध), गे ( पुरुष से पुरुष का शारीरिक या मानसिक संबंध ) या ट्रांसजेंडर जो स्त्री या पुरुष के रूप में अपने आप को परिवर्तित करा लेता है। उक्त सभी को इस अधिनियम के तहत संरक्षण प्राप्त है।
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