बेटियों की हुई शादी तो बेटों ने फिर संभाली रामलीला की बागडोर, परसवानी में हुआ दशानन का आधी रात को दहन
बालोद। ग्राम परसवानी में इस बार बेटों ने फिर से रामलीला की बागडोर संभाल ली है। विगत करीब 2 साल तक यहां की बेटियों द्वारा रामलीला का पाठ किया जा रहा था। उसमें से कई किरदार बेटियों की शादी होने के कारण मंडली प्रभावित हुई तो वापस गांव के बेटों ने संस्कृति के संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में रामलीला की मंडली को सहेजते हुए इस साल नए सिरे से शुरुआत की। दशहरे की रात को 12 बजे के बाद दशानन के पुतले का दहन किया गया।
इससे पहले सीता हरण प्रसंग, अंगद संवाद से लेकर रावण दहन तक पूरे विस्तार से रामलीला का मंचन हुआ। रामलीला के बीच-बीच में हास्य प्रहसन भी चलते रहे। जिसने आयोजन को और भी खास बनाया। युवाओं द्वारा की दी गई प्रस्तुति सहित गांव के वरिष्ठ लोगों द्वारा वाद्य यंत्रों के संयोजन ने लगातार 3 घंटे तक समां बांधे रखा और सफल आयोजन हुआ। बता दे की 3 साल पहले से भी गांव के युवाओं द्वारा रामलीला मंडली चलाई जा रही थी। लेकिन बीच में कुछ युवाओं के रुझान कम होने के बाद बेटियों ने बागडोर संभाली थी। अधिकतर बेटियों की विगत 2 साल के भीतर शादियां हो जाने के कारण मंडली को नए सिरे से शुरुआत करते हुए यहां के युवाओं ने फिर से अब अपने हाथों रामलीला की बागडोर संभाली है। इस पर गांव की वरिष्ठ बुजुर्गों ने युवाओं के कला और अभिनय की सराहना की। इसी तरह आगे भी निरंतर गांव का नाम रामलीला के क्षेत्र में बनाए रखने की अपील की गई।