इस पापा के लिए एक पेड़ है परी: बेटी की हुई बिच्छू के डंक से मौत तो लगाया था पौधा, अब उसी को मानते हैं अपनी लाडली, पेड़ के साथ मनाया बेटी का जन्मदिन

बालोद । बालोद के संजय नगर में एक ऐसे माता-पिता रहते हैं जिनकी बड़ी बेटी प्रगति शर्मा इस दुनिया में नहीं है। लेकिन जब बेटी का निधन हुआ तो उनकी याद में उन्होंने घर के सामने एक पौधा लगाया था। जो आज पेड़ बन चुका है। उसी पेड़ को हर साल बेटी मान कर ही पेड़ के साथ ही जन्मदिन मनाया जाता है। पिता शैलेंद्र शर्मा ने अपनी पत्नी और छोटी बेटी के साथ अपनी बड़ी बेटी जो अब इस दुनिया में नहीं है, को पेड़ के स्वरूप जन्मदिन मनाया। उक्त नीम के पेड़ को ही अब वे अपनी बेटी मानते हैं। लोगों को कहते हैं मेरी बेटी इस पेड़ की के रूप में ही जिंदा है।

8 साल पहले हुई थी घटना

इस परिवार की बड़ी बेटी प्रगति शर्मा की मौत 27 जुलाई 2016 को यानी 8 साल पहले बिच्छू के डंक से हो गई थी। अपनी बेटी की याद में पिता ने उनकी यादों को जिंदा रखने के लिए शहर के अलग-अलग जगहों पर पौधे लगाएं हैं। उनका एक पौधा घर के सामने भी लगा है तो एक पौधा वहां पर भी है जहां पर उन्होंने अपनी मासूम बच्ची के शव को दफनाया है। 8 साल में वे पौधे पेड़ बन चुके है और हरियाली छाई है। हर साल 17 अगस्त को बेटी का जन्मदिन भी पिता इसी पेड़ के साथ मनाते हैं। साथ ही हर सुख दुख उसी पेड़ से बांटते हैं।

पंपलेट से दे रहे बेटी की ओर से संदेश

पिता शहर में जगह-जगह पंपलेट भी चिपका रहे है। जिसमें वे लोगों को बरसात के दिनों में सांप बिच्छू से सचेत रहने अपील करते हैं। पंपलेट में बेटी की ओर से अपील जारी किया है। जिसमें उन्होंने निवेदन करते लिखा है की माता-पिता से अनुरोध है कृपया अपने बच्चों को जूता चप्पल देखकर पहनाए। कहीं उसमें कोई जहरीले जीव जंतु तो नही है। जूती में बिच्छू काटा और मैं पापा मम्मी से दूर हो गई आप भूल न करें। पापा की याद में पेड़ के रूप में दुनिया में मौजूद इस बेटी की ओर से अपील पत्र जगह-जगह पिता शैलेंद्र शर्मा शहर में चिपकाए हैं और लोगों को जागरुक कर रहे हैं।

जुती में छिपा था बिच्छू

ज्ञात हो कि 8 साल पहले 2016 में बेटी को पिता घुमाने ले जाने की तैयारी कर रहे थे। शाम का वक्त था। अंधेरा छाने वाला था और अचानक बिजली गुल हो गई। इस अंधेरे में बेटी अपनी जूती पहन रही थी। उसे पता भी नहीं था कि उस जूती में कब से आकर बिच्छू बैठा है और बिच्छू ने उनके पैरों में डंक मार दिया। बेटी बेसुध होने लगी।आनन-फानन में पिता उन्हें पहले जिला अस्पताल बालोद ले गए लेकिन यहां भी इलाज ना हो पाया फिर रिफर करते-करते भिलाई के अस्पताल तक पहुंचे लेकिन बेटी की जान नहीं बच पाई। कुछ दिनों बाद बेटी का जन्मदिन आया। बेटी तो इस दुनिया में नहीं थी लेकिन उनकी यादों को हमेशा जिंदा रखने और समाज को भी एक नया संदेश देने के लिए उन्होंने बेटी के जन्मदिन पर पौधा लगाया और उनकी देखभाल करते रहे। आज बेटी रूपी पौधा पेड़ बन चुका है और एक पिता उन्हीं पेड़ पौधों को ही अपनी बेटी मानकर उनकी परवरिश करने में जुटा है।

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