अइसन तीज-तिहार रचना: प्रेम कुमार रावत बलोदा बाजार (भाटापारा )
नांगर ढीला गे बइला धोवा गे
घर डाहर रेंगे किसान जी
सुमरन करे माटी महतारी के
धरथे देवी देवता के ध्यान जी
गहुँ पिसान के चीला बनाके
बंदन चंदन ला सजा के जी
अंगना म सुघर मुरुम बिछा के
नांगर कुदारी ला मड़हाके जी
पूजा-पाठ करके सुघर मान मनौती ला मना के जी
लईका बर घर के सियान
बांस के गेड़ी बनाथे जी
गहुँ पिसान के लोंदी बनाके
गाय बईला ला खवा के जी
उपकार हवय तुहर मोर उपर देवता कही के माथ-नवा थे जी
होवत बेरा म रच-रच गेड़ी के
सुनाथे आवाज़ जी
नारियल फेंक खेल के
मजा लेथे लोग-बाग जी
नीम के डारा ला धरके राउत
घर-घर के चौखट म लगाथे जी
खीला ठेंस के लोहार भईया
बीमारी बाधा दूर भगाथे जी
बड़ पावन हमर तिहार हरेली मन ला सबके भाथे जी
छत्तीसगढ़ के पहली तिहार म माटी ला पूजे जाथे जी
छत्तीसगढ़ के मया के रंग म सब्बो झन रंग जाथे जी
अइसन तीज-तिहार हमर गंवई बस्ती म नजर आथे जी