श्रीमद् रामचरित मानस राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित हो – मोहन मंडावी
बालोद। कांकेर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद तथा श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान के संरक्षक मोहन मंडावी ने श्री तुलसीदास कृत श्रीमद् रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की है ।श्री मंडावी ने बताया कि विगत 18 दिसंबर 2023 को संसद सत्र के दौरान नियम 377 के अधीन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के समक्ष संसद को संबोधित करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भारतीयता के आदर्श पुंज है ।उनका आदर्श, मर्यादा और पावन चरित्र भारत ही नहीं अपितु विश्व मानवता के लिए प्रेरक है। श्री मंडावी ने कहा कि महाकवि तुलसी ने अपने महाकाव्य में आदर्श मातृ पितृ भक्ति भातृत्व प्रेम, सखा धर्म का पालन, आदर्श राजधर्म का दिग्दर्शन,नारी अस्मिता का सम्मान, समाज के दलित, शोषित ,वंचितों के जीवन मूल्यों को ऊपर उठाने आदर्श प्रजा धर्म का पालन के साथ-साथ वन्य प्राणियों की रक्षण तथा मानवीय और प्राकृतिक पर्यावरण को समृद्ध बनाने का काम किया। भगवान श्री राम का चौदह वर्ष का वनवास काल न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व के लिए समतामूलक समाज की स्थापना का कालजयी प्रसंग रहा है।उन्होंने माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री तथा सदन से अनुरोध किया श्रीमद् रामचरित मानस को स्कूली तथा महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल कर आदर्श राष्ट्र की स्थापना हेतु श्रीमद् रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाये। यह भी उल्लेखनीय है कि श्री मंडावी ने सन् 2002 से अब तक श्री राम चरित मानस की 51 हजार प्रतियां जनमानस में वितरित कर गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया है।