बजरंग दल मना रहा बालोद में हनुमान महोत्सव, बताया क्यों साल में दो बार मनाते हैं बजरंग बली का जन्मदिन

बालोद। बजरंग दल बालोद जिला संयोजक उमेश कुमार सेन ने बालोद नगर और बालोद जिले के सभी सनातनी हिंदू भाई बहन और पूरे भारतवर्ष के लोगों को श्री हनुमान जी की जन्म उत्सव(दिवस की) हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी । बालोद नगर के सभी वार्डों में बड़े हर्ष उल्लास के साथ हनुमान जन्म उत्सव मनाया जा रहा है। साथ ही साथ बालोद जिले के खंड प्रखंड (गांव शहर) और और पूरे बालोद जिले भर में हनुमान जन्म उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिला बजरंग दल जिला संयोजक उमेश कुमार सेन ने बताया कि साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव। गुरुवार, 6 अप्रैल 2023 को पवनपुत्र, संकटमोचन और भगवान शिव के रुद्रावतार भगवान बजरंगबली का जन्मोत्सव है। रामभक्त हनुमान को कलयुग के देवता और जल्द प्रसन्न होने वाले देवता माना गया है। हनुमानजी को भगवान शिव के 11वें अवतार माना जाता है। रामभक्त हनुमानजी के जन्म को लेकर दो तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार हनुमानजी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, वहीं इसके अलावा कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी हनुमान जयंती मनाई जाती है। चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है तो वहीं कार्तिक महीने में हनुमान जयंती के रूप में। ऐसे में अब आपके मन में यह विचार चल रहा होगा कि साल में हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।

हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों ?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में हनुमान जयंती का त्योहार दो बार मनाएं जाने की परंपरा है, दरअसल भगवान हनुमान का जन्मोत्सव एक बार ही मनाया जाता है जबकि दूसरी बार हनुमान जयंती को विजय दिवस के रूप मे मनाया जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर और स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस तरह से हनुमानजी का प्रगट्यपर्व यानी हनुमान जयंती कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जन्मोत्सव मनाने के पीछे का रहस्य हनुमान जी के बाल्य अवस्था में एक कथा से जुड़ा हुआ है। जैसे कि हम सभी जानते हैं हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और इन्हें अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां प्राप्त हैं। इस कारण से हनुमानजी की शक्तियां बहुत अधिक मानी गई हैं। एक बार की बात है कि हनुमान जी जब छोटे बालक थे तब उन्हें बहुत जोरों की भूख लगी। तब हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर और अपनी शक्ति के बल पर सूर्य देव निगल लिया था।

हनुमानजी ने जब सूर्यदेव को निगल रहे तब वहां पर पहले से राहु मौजूद था जो सूर्यदेव को भी अपना ग्रास बनाना चाहता था। हनुमानजी के द्वारा सूर्य को निगलते हुए देखते हुए राहु ने यह बात देवराज इंद्र को जाकर बताई। राहु की बात सुनकर इंद्रदेव क्रोधित हो गए और हनुमानजी को दंड देने के लिए उन पर वज्र से प्रहार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान को दाढ़ी में चोट लगी और वे हीं बेहोश हो गए। जब यह बात पवनदेव को मालूम चली कि उनके पुत्र पर इंद्र ने वज्र से प्रहार किया वे क्रोधित होकर पूरे ब्रह्रांड की प्राण वायु को रोक दिया। समूची सृष्टि की प्राणवायु रुक जाने से सभी लोगों में हाहाकार मच गया। तब ब्रह्राजी ने पवनदेव का समझाते हुए हनुमान जी को जीवनदान दिया। ऐसी मान्यता है यह दिन चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि थी जिस पर हनुमान जी को नया जीवनदान मिला था, इस कारण से हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हनुमान नाम क्यों पड़ा ?

संस्कृत भाषा में हनु को दाढ़ी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवराज इंद्र के वज्र के प्रहार से बजरंगबली की दाढ़ी में चोट लगने से उनकी दाढ़ी तिरछी हो गई। इस कारण से भगवान बजरंगबली का नाम हनुमान पड़ा। हनुमान जयंती के त्योहार को देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।

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