कष्ट मिले तो घबराना नहीं और सुख मिले तो इतराना नहीं- स्वामी आत्मानंद
देवरीबंगला- नर्मदाधाम सुरसुली में चातुर्मास कर रहे कनिष्ठ शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती द्वारा मां पार्वती शंकर भगवान के विवाह प्रसंग के दौरान कहा कि हमारे जीवन में कष्ठ और सुख दोनो आते हैं जब हमें कोई कष्ट मिले तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकी उसकी एक अवधि होती है हर मनुष्य के जीवन में कष्ट के पल आते हैं उस समय ईश्वर पर पूरी आस्था रखते हुए धैर्य के साथ उस समय को व्यतीत करना चाहिए क्योंकी उसके बाद जीवन में सुख का प्रवेश होता है और जब सुख हो तो इतराना नहीं चाहिए उस समय भी धैर्य के साथ जीवन व्यतित करना चाहिए। आगे कथा में उन्होने शिव-पार्वती के विवाह का वर्णन किया जिसके बाद संध्या आरती की गई। संध्या आरती के पश्चात उन्होने मां नर्मदा कुण्ड में दीपदान किया और वहां के पुजारी से अनुरोध किया की वे प्रतिदिन संध्या को मां नर्मदा की पूजाकर दीपदान करें। उन्होने बताया कि उनके आने के पश्चात से ही वे मां नर्मदा का चमत्कार साक्षात देख चुके हैं जब बरसात के कारण कुछ भक्त कुण्ड की तलाश कर रहे थे और पुरा पानी मटमैला था एसे में बाहर से आए भक्तों के मन में नर्मदा कुण्ड पानी को लेकर मन में संदेह पैदा हो गया तब उनकी प्रार्थना से कुछ ही सेकण्ड में मां नर्मदा कुण्ड का जल स्वमेव मिनरल वाटर की तरह स्वच्छ हो गया। उन्होने कहा कि नर्मदा धाम सुरसुली में मा नर्मदा की कृपा है वे जींवन्त रूप में यहां विराजमान हैं। इसीलिए यहां की मान्यता है। चातुर्मास दौरान प्रतिदिन यहां सुबह 7ः30 से 9ः30 तक रूर्दाभिषेक, प्रातः 10 बजे से 1 बजे तक महामृत्यंजय यक्ष, दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक कथा प्रवचन तथा शाम 7 बजे संध्या आरती का आयोजन हो रहा है।