हां मैंने सूरज को डुबते देखा हैंतलाब मे खिले उन कमलों को सिकुड़ते देखा है ,चड़िया को अपने घोंसला कि ओर मुड़ते देखा हैहां मैंने सूरज को डुबते देखा है । सुरज को अपनी रोशनी खोते देखा हैचकवा और चकई को रोते देखा हैं,हां मैंने सूरज को डुबते देखा है ॥ इसे देखकर ऐसा प्रतित […]
14 सितम्बर 1949″हमारा हिंदी दिवस
हिंदी हमारी है स्वराष्ट्र भाषा,परिष्कृत भावों का संसार है।होते विचारों का आदान प्रदान,विभिन्न बोलियों का आधार है।ऋषि मुनियों का है ग्रंथ पुराण,काव्य साहित्य जहाँ अपार है।राग रागनियां कला रंगमंच पर,हर्ष विनोदमयता का प्रचार है।अंग्रेजी तो खड़ी एक टांग पर,हिंदी शब्दों की पुष्प भण्डार है।उत्तर दक्षिण और पूरब पश्चिम,भारतीयता का प्रचार प्रसार है।इंद्रधनु
07से 16 सितंबर 2024 समारोह विशेष,,
राजा चक्रधर सिंह पोर्ते समारोह उनकी उच्च शिक्षा राजकुमार महाविद्यालय रायपुर से हुई ,वह गायन, वादन अभिनय एवं नर्तन के विशेषज्ञ थे ।उन्होंने संगीत एवं नृत्य विधा में बहुमूल्य कृतियों की रचना की ।वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार (छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग) के द्वारा महाराजा चक्रधर सिंह के सम्मान में “चक्रधर सम्मान ” दिया जाता है।रायगढ़ की इस [&helli
पोरा तिहार,लेख- नागेश कुमार वर्मा,टिकरापारा रायपुर
हमर संस्कारधानी छत्तीसगढ़ जेकर भुइयाँ ह किसम-किसम के तीज-तिहार ले हरियर हावय।इहाँ के जम्मो तिहार के अपन बिसेस महत्ता हावय। इही तीज-तिहार म एक सुग्घर तिहार हे ‘पोरा तिहार’।ए परब आंध्रप्रदेश संग महाराष्ट्र म घलो मनाए जाथे जेन ह सांस्कृतिक यात्रा करत हमर छत्तीसगढ़ पहुँचिस।महाराष्ट्र म एला ‘पोला पर्व’ कहे जाथे पोला माने पोर आना
हां मैंने सूरज को डुबते देखा हैं तलाब मे खिले उन कमलों को सिकुड़ते देखा है ,
हां मैंने सूरज को डुबते देखा हैंतलाब मे खिले उन कमलों को सिकुड़ते देखा है ,चड़िया को अपने घोंसला कि ओर मुड़ते देखा हैहां मैंने सूरज को डुबते देखा है । सुरज को अपनी रोशनी खोते देखा हैचकवा और चकई को रोते देखा हैं,हां मैंने सूरज को डुबते देखा है ॥ इसे देखकर ऐसा प्रतित […]
लेख: शान्ति व सदभावना हमेशा कायम रहे स्वतंत्र भारत में : बिजेंद्र सिन्हा दुर्ग
हमारा देश स्वतंत्रता के 78 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह बेहतर भारत की संकल्पना को सामने लाने का उपयुक्त अवसर है। एक ऐसा भारत जहाँ समाजिक समानता पर आधारित व्यवस्था की स्थापना और हिंसामुक्त व शोषण रहित समाज की स्थापना हो। धर्म व जाति के आधार पर किसी से भेदभाव न हो। […]
लघु कथा: भैय्या जताते नहीं पर हर मुसीबत में ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं!
लघुकथा – कुछ रिश्ते खून से भी बढ़कर होते हैं यह बात मैं आशु भैया से मिलकर जाना ! मेरे परिवार में मां पापा और हम तीन बहने हैं मुझे हमेशा एक भाई की कमी लगती थी आशु भैया से मैं मनीषा दीदी के जरिए मिली थी पर कब हम तीनों एक भाई बहन के […]
अइसन तीज-तिहार रचना: प्रेम कुमार रावत बलोदा बाजार (भाटापारा )
नांगर ढीला गे बइला धोवा गेघर डाहर रेंगे किसान जी सुमरन करे माटी महतारी केधरथे देवी देवता के ध्यान जी गहुँ पिसान के चीला बनाकेबंदन चंदन ला सजा के जी अंगना म सुघर मुरुम बिछा केनांगर कुदारी ला मड़हाके जी पूजा-पाठ करके सुघर मान मनौती ला मना के जी लईका बर घर के सियानबांस के […]
पुरखा पुरातन “परब” : प्रकृति के जोहार -हरेली तिहार “
हरेली सावन महिना के अम्मउस तिथि म मनाए के चर्चित लोक परब आय। जेला देश के आन -आन भाग मा अलगे -अलग नाव ले जाने जाथे जइसे – मध्यप्रदेश म जीवती, अउ छत्तीसगढ़ मा हरेली। इहि ला भारत म ‘ हरियाली’ कहिथे।मानुष सभ्यता संस्कृति के गोठ बात ल करन त आज ले हजारों बरस पहिली […]
देख अइसन हरेली मनाएंव- हमर पहली तिहार
हमर छत्तीसगढ़ ह तिहार ले भरे पुरे राज्य हरय। ननपन ले ही तिहार के उछाह तो तिहार के आए के आघू ले होवत रहिथे अउ उछाह काबर नइ रही भई किसम-किसम के तिहार तो हमरेच इंहा हे अउ हमर पूरा बछर ह नहाक जाथे तिहार मनावत।अक्ती के दिन हमन छत्तीसगढ़ी नवा बछर मानथन।सिरतोन म ए […]