November 22, 2024

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दादी प्रकाशमणि जी का 17 वां स्मृति दिवस विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया

बालोद। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आत्मज्ञान भवन आमापारा बालोद में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दादी प्रकाशमणि जी का 17 वां स्मृति दिवस विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारी बहनें व सभी भाई बहनो ने मिलकर श्रध्दांजलि दिए।


इस अवसर पर मुख्य संचालिका राजयोगिनी बी.के. विजयलक्ष्मी दीदी ने कहा कि सृष्टि रंगमंच पर कुछ ऐसी महान विभूतियां जन्म लेती है जिन पर भगवान भी नाज करते है। जब कोई नारी किसी सत्ता, संगठन की कमान संभालती है तो उसे कैसे विश्व पटल पर रेखांकित कर देती है इसकी साक्षात् प्रतिमूर्ति थीं ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणी जी।
दादी जी बचपन से ही कुशाग्र बुध्दि थी। उनका इस संस्था में एक स्नेहमयी, लगनशील, आज्ञाकारी कुमारी के रूप में हुआ। उन्होंने 14 वर्ष की अल्पायु में ही अपना जीवन मानव कल्याण हेतु प्रभु अर्पण कर दिया। आप परमात्म शिक्षा से प्रेरित होकर अपने जीवन में पवित्रता, शंाति, प्रेम, सरलता, दिव्यता, नम्रता,निरहंकारिता जैसे विशेष गुणों को अपनाकर आध्यात्मिक प्रकाश को फैलाने और मानव को महान बनाने के कार्य में सफल रहीं।


1969 से 2007 तक प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका रहीं दादी प्रकाशमणि जी ने आध्यात्मिक नेता के रूप में विश्वव्यापी पहचान बनाकर सबको जीवन जीने का सही तरीका सिखाया।
दादी जी एक ऐसी विदुषी नारी थीं, जिन्होंने यह सिध्द किया कि शांति स्वरूपा नारी महान सामाजिक क्रांति की नायिका बन सकती है। दादी जी ने अपने नेतृत्व में लाखों भाई-बहनों के जीवन में अद्भूत परिवर्तन लाकर उन्हें विश्व सेवा के लिए प्रेरित किया। संस्था की सेवाओं को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1987 में एक अंतर्राष्ट्रीय तथा पांच राष्ट्रीय स्तर के ‘शांतिदूत’ पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।


दादी जी ने अपने अनुपम मूल्यनिष्ठ जीवन, आध्यात्मिक शक्ति और प्रशासनिक दक्षता से ब्रह्माकुमारी संगठन को प्रेम, शंाति, सत्य, समरसता, सद्भावना, आत्मिक दृष्टि, वात्सल्य व करूणा जैेसे दैवी मूल्यांे से सुसज्जित करके दुनिया भर में आध्यात्म की ज्योति जलाई। उनके प्रयास से दुनिया के 140 देशों में 8 हजार राजयोग सेवाकेन्द्र स्थापित है।
ऐसी महान विभूति दादी जी ने 25 अगस्त, 2007 को अपनी भौतिक देह का त्याग कर ईश्वर की गोद में समा गई। ऐसे विश्व बंधुत्व की मसीहा, परम आदरणीय दादी मां को पुण्य स्मृति दिवस पर बारंबार नमन भावपूर्ण श्रध्दांजलि।

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