ये कैसा अस्पताल, देखिये इसका हाल? आयुर्वेद अस्पताल में सरपंच पहुंचे ऊंगली फ्रैक्चर दिखाने तो मिला जवाब- मरहम पट्टी तक नहीं यहां

बालोद। ग्रामीण क्षेत्र के आयुर्वेद अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। शासन द्वारा अस्पताल तो खोल दिए गए हैं, भवन भी बने हुए हैं लेकिन वहां आवश्यक सुविधाओं की कमी है। जिसके चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका एक उदाहरण ग्राम पंचायत भीमकन्हार का आयुर्वेद अस्पताल है। जहां पर कई तरह की अव्यवस्था का आलम है। इसका भुक्तभोगी स्वयं सरपंच है। जिन्होंने बताया कि वे  बुधवार को गांव के आयुर्वेद अस्पताल में गए हुए थे। जहां पर डॉक्टर भी लेट से पहुंचे।  उनके उंगली में फ्रैक्चर हुआ है। जिस पर मरहम पट्टी लगाने थे। पहले दूसरे अस्पताल में दिखाए थे वहां के डॉक्टरों ने कहा था कि किसी भी अस्पताल में जाकर खुलवा कर दुबारा मरहम पट्टी करवा लेना, वे यह सोचकर गए थे कि गांव में अस्पताल है तो यहां हो जाएगा। लेकिन जब अस्पताल पहुंचे और 1 घंटे बाद जब डॉक्टर आए तो उन्होंने बताया कि यहां तो मरहम पट्टी तक की सुविधा नहीं है। हम क्या कर सकते हैं। इस पर सरपंच ने नाराजगी भी जाहिर की और कहा कि यह कैसा अस्पताल है। व्यवस्था सुधारनी चाहिए। सुविधा मिलनी चाहिए वरना इसे खोलने का क्या मतलब? सरपंच पोषण लाल साहू ने बताया कि हफ्ते में दो-तीन दिन ये  अस्पताल खुलता है लेकिन यहां भी ना दवाई है ना अन्य व्यवस्था है। जिसके चलते इसका लाभ ग्राम वासियों को नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ जहां सरकार आयुष को बढ़ावा देती है, आयुर्वेद योगा को अपनाने की बात कही जाती है। लेकिन वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में दवाई व स्टाफ की कमी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अगर यह व्यवस्था नहीं सुधरेगी तो फिर ग्रामीणों को इसका लाभ कैसे मिलेगा? लोग आयुर्वेद के प्रति आकर्षित कैसे होंगे और इसी का फायदा निजी विशेषज्ञ उठाते है।

प्राथमिक अस्पताल खोलने की भी मांग

सरपंच पोषण साहू ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग भी भीमकन्हार में कई वर्षों से उठ रही है। पर अब तक नहीं खुल पाई है। आयुष विभाग को आयुर्वेद अस्पताल की  व्यवस्था सुधारने के अलावा यहां व आसपास की आबादी को देखते हुए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी भीमकन्हार  में खोला जाना चाहिए।

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