शिक्षक दिवस विशेष: एक स्वीपर की सोच: विद्यालय का विकास है गांव के विकास का आधार, शिक्षित हैं तो करें शिक्षा के विकास में भी योगदान

स्वीपर की अनुकरणीय पहल:
देश हमारा, गांव हमारा ,स्कूल हमारा तो जिम्मेदारी भी हमारी

ये शिक्षक नहीं लेकिन स्कूल के विकास में दे रहे अहम योगदान, स्वीपर परदेशी राम स्कूल को मानते हैं अपना परिवार , कहते हैं गांव और स्कूल की सेवा करने में आनंद आता है

बालोद। कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नही होता है। जब कोई अपना कार्य आनंदपूर्वक, जिम्मेदारी के साथ करता है तो उनके द्वारा किया गया कार्य बाकी सबके लिए अनुकरणीय हों जाता है। ये कहानी है परदेशी राम की को सत्र 2018 से बालोद जिले के दूरस्थ वनांचल में स्थित संस्था (शासकीय प्राथमिक शाला कंजेली, डौण्डी ब्लॉक)में स्वीपर के पद पर कार्यरत हैं। परदेशी एक पढ़ा-लिखा युवा हैं। उनकी पढ़ाई निरंतर जारी हैं। साथ ही वह प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग लेते हैं। गांव का विकास हो या शाला विकास परदेशी दोनों कार्यों को पूरी मेहनत और लगन से करते हैं। आज हम इनकी कहानी इसलिए लेकर आए हैं, क्योंकि एक युवा कर्मचारी के रूप में इनके द्वारा किया जा रहा कार्य हम सब के लिए प्रेरणादाई है‌। परदेशी स्वीपर के रूप में अपने कार्यों का भलिभांति निर्वहन तो करते ही हैं। लेकिन साथ ही अपनी जिम्मेदारी समझकर स्वयं शाला विकास कार्यों एवं ग्राम विकास कार्यों से जुड़कर कार्य करते हैं । और गांव के युवाओं को भी इसमे योगदान के लिए, विकास कार्यों से जोड़ने का निरंतर प्रयास करते हैं। वे कहते हैं कि मेरा गांव है मेरा स्कूल है तो इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी मेरी है। लोगों की सेवा करने और स्कूल के विकास कार्यों में अपना योगदान देने में उन्हें आनंद आता है। दूसरे लोगों को भी वे ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। स्कूल के लिए वे बहुत कुछ सोचते हैं। स्कूल के अलावा वे गांव में भी जन सेवा के कार्य में संलग्न रहते हैं।

एक स्वीपर का शाला के लिए किया गया विकास

स्कूल की शिक्षिका ममता सोनेश्वर ने बताया परदेशी ने संस्था के बागवानी विकास, पोषण वाटिका विकास, भौतिक निर्माण कार्य, स्वच्छता कार्य, वृक्षारोपण, न्योता भोज,एवं समय -समय पर विभिन्न आयोजनों में अपना उत्कृष्ट सहयोग प्रदान किया है।
विद्यालय में बाहर से आने वाले जिला,राज्य एवं दिल्ली के अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा परदेशी के मेहनत एवं शाला विकास कार्यों में योगदान की सराहना की जा चुकी है। शाला में विगत वर्ष राज्य में संचालित बालवाड़ी कार्यक्रम में आह्वान ट्रस्ट के एसोसिएट डायरेक्टर श्री मनीष अरोरा के साथ सहायक सलाहकार के रूप में आई दिल्ली एससीईआरटी की पूर्व प्रचार्या शारदा द्वारा उनकी मेहनत से प्रभावित होकर उन्हें नगद पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।परदेशी विकास कार्यों में न केवल सहयोग प्रदान करते हैं बल्कि शाला विकास युवा समिति के सदस्य के रूप में शिक्षकों के बीच अपना विचार-विमर्श एवं सुझाव भी रखते हैं। परदेशी की निस्वार्थ मेहनत एवं जिम्मेदारी पूर्वक किए जा रहे कार्यों के लिए संस्था द्वारा विभिन्न अवसरों पर उन्हें सम्मानित किया गया है।

गांव के युवाओं के लिए भी करते हैं ये काम

संस्था प्रमुख बताते हैं कि गांव के संस्था से पढ़कर निकले विद्यार्थी एवं गांव के अन्य युवाओं को संस्था से जोड़कर विकास कार्यों में उनके योगदान प्राप्त करने में परदेशी ने अहम भूमिका निभाई है। गांव के इन युवाओं का बिते कुछ वर्षों से हमें अच्छा सहयोग मिल रहा है। वृक्षारोपण, श्रमदान, सांस्कृतिक आयोजन की तैयारी, साक्षरता कार्यक्रम, न्योता भोज, शैक्षणिक आयोजन आदि कार्यक्रमों में युवा सामने आए हैं। गांव के युवाओं द्वारा किया जा रहा यह प्रयास अन्य गांवों के युवाओं और लोगों के लिए प्रेरणास्पद है।
युवा समिति के सदस्यों में परदेशी,पूजा ठाकुर, रितेश कुमार,सविता,निलय,दामेश्वरी,
देवकी, त्रिवेणी,नंदनी,परमानंद,मनीष
खिलावन,रामानंद,हरिचंद,हेमन्त,रूपा, नंदकिशोर, दिव्या, संतोष,अनुज, आदि सम्मिलित हैं।लोग सभी के योगदान की सराहना करते हैं।एवं परदेशी राम की कर्तव्यनिष्ठ की प्रशंसा करते हैं। परदेशी हम सबके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि कार्य कोई भी हो हम अपनी मेहनत से उसे उत्कृष्ट और अनुकरणीय बना सकते हैं। जिससे सबका विकास संभव हो सके और इसके लिए सबकी हिस्सेदारी भी जरूरी है। परदेशी की सोच है की गांव भी हमारा, स्कूल भी हमारा
सब मिलकर कार्य करें, तो बहे विकास की धारा ।।

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