शहर से लेकर गांव तक बढ़ा पशुपतिनाथ व्रत का ट्रेंड, जगह- जगह स्थापित हो रही शिव की प्रतिमा

मान्यता ऐसी कि छठे सोमवार तक हर इच्छा होती है पूरी

बालोद/ गुरुर। इन दिनों गांव से लेकर शहर तक लोग शिव भक्ति में लीन होते जा रहे हैं। खासतौर से महाशिवरात्रि के बाद शिव भक्ति चरम पर पहुंचने लगी है।

वह इसलिए क्योंकि इन दिनों पशुपतिनाथ व्रत ट्रेंड में चल रहा है। लोग इस व्रत को पूरा कर अपनी मनोकामना सिद्धि में लगे हुए हैं। जिसके चलते गांव से लेकर शहर के हर कोने और गलियों में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करवा कर पूजा अर्चना की जा रही है। मोहल्ले वाले आपस में चंदा करके शिवलिंग स्थापना कर रहे हैं। पशुपतिनाथ व्रत की महत्ता को देखते हुए यह स्थापना की जा रही है। क्योंकि माना जाता है कि इस व्रत के तहत उसी शिवलिंग में पूजा की जाती है जिसकी मंत्रोच्चारण के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई गई है। चाहे वह घर में हुआ हो या सार्वजनिक स्थल पर। इस क्रम में गुरुर ब्लॉक ग्राम सोरर में समस्त ग्रामीण जन के सहयोग से शिवलिंग की स्थापना किया गया। जिसमें ग्राम सरपंच शशि कला कुम्भज ,उपसरपंच रामखिलावन, लताबाई कोसरे पवन पटेल बनवाली सिन्हा ग्राम बैगा पंच देव सहित समस्त ग्रामवासी भी शामिल हुए। ऐसे और भी कई गांव में इसी तरह से शिवलिंग स्थापित किए जा रहे हैं। वही पशुपतिनाथ व्रत को लेकर आवश्यक पूजन सामग्री सेट भी अब बाजारों में उपलब्ध होने लगी है।

भगवान शिव के प्रिय व्रतों में से एक है पशुपति व्रत

एक दो साल तक इस व्रत का नाम शायद बहुत कम लोगों ने सुना होगा लेकिन यह बहुत ही लाभकारी है। और अब यह व्रत काफी चर्चा में है। कई तरह की परेशानी और उलझन से भरी जीवन जी रहे लोग समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत रखने लगे हैं। शास्त्रों के अनुसार पशुपति व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है और हर इच्छा पूरी हो जाती है। अगर कोई अधिक बोझ के नीचे दबा हुआ है या किसी का वैवाहिक जीवन सही नहीं है, वो इस व्रत को रख सकता है। यह व्रत बहुत ही आसान है। इसे रखने के लिए कोई शुभ मुहूर्त या कोई खास दिन की जरूरत नहीं पड़ती।

कैसे रखा जाता है पशुपति व्रत और क्या हैं इसके नियम

गुरुर के पंडित ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस व्रत को किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष में किया जा सकता है। बस ध्यान रहे, इस व्रत को करने के लिए सोमवार का दिन होना चाहिए। अगर मन के मुताबिक फल पाना चाहते हैं तो इस व्रत को विधि-विधान के साथ करना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, इस व्रत को पूरे 5 सोमवार तक करना चाहिए। तभी इस व्रत का फल मिलता है।

पशुपति व्रत के ये हैं नियम


श्री शर्मा ने बताया हर व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम होते हैं- सुबह भगवान शिव के मंदिर जाएं और उन्हें बेलपत्र व पंचामृत चढ़ाएं। सुबह के समय फलहार करें। शाम के समय भगवान शिव को भोग लगाने के लिए कुछ मीठा बनाएं और उसके तीन हिस्से कर लें। फिर उसमें से एक हिस्सा अपने लिए निकाल लें और बाकि दो हिस्सों को भोलेनाथ पर अर्पित कर अपनी मनोकामना को व्यक्त करें। शाम को मंदिर जाते समय भोग के साथ 6 दीपक भी लेकर जाएं। उनमें से 5 दीपक भोलेनाथ के सामने जला कर रखे दें और बचें एक दीपक को वापिस घर ले आएं। इस दिए को घर में प्रवेश करने से पहले राइट साइड में रख दें और घर के अंदर प्रवेश कर जाएं। व्रत को खोलते समय उस प्रसाद के एक हिस्से को ग्रहण कर लें।

पशुपति व्रत उद्यापन

इस व्रत को लगातार 5 सोमवार तक किया जाता है और इसके बाद इसका उद्यापन करते हैं। 4 सोमवार के बाद पांचवे सोमवार को पूजा के बाद अपनी मनोकामना को ध्यान में रखते हुए महादेव को एक नारियल चढ़ा दें। हो सके तो भगवान शिव को 108 बेलपत्र या फिर अक्षत चावल भी चढ़ाएं। आस्था है कि छठे सोमवार तक आपकी हर इच्छा होगी पूरी।

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