राजनीति कैसी- कैसी? ना इधर की हुई ना उधर की, अविश्वास प्रस्ताव के जरिए गंवानी पड़ी नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी को अपनी कुर्सी, कांग्रेस ने पहले ही कर दिया था निलंबित
सुप्रीत शर्मा/ कमलेश वाधवानी, बालोद/ गुरुर।
नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी की राजनीति की नाव अंततः डूब गई। वह ना इधर की हुई ना उधर की। कुछ भाजपा पार्षदों से मेंलजोल बढ़ाकर वह पीआईसी मेंबर बनाई थी वह भी उनके साथ नहीं दे पाए। चुनाव जीतने समय शुरुआत में कांग्रेस से उन्हें समर्थन मिला था पर कुछ दिन पहले उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया। तो अब वह अविश्वास प्रस्ताव में चुनाव हार गई। गुरुर नगर पंचायत जो कि लगातार विवादों में घिरा रहा। यहां गुटबाजी चरम पर थी। वही राजनीति भी हावी थी और इसके चलते अध्यक्ष के साथ पार्षदों में आए दिन विवाद की स्थिति बनती रहती थी। और इसी के चलते विपक्ष ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने आवेदन दिया था। जिस पर एक बार तो नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू ने हाई कोर्ट से स्टे आर्डर ले आए। लेकिन इसका भी वक्त समाप्त होने के बाद आखिरकार सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ। जहां अंततः टिकेश्वरी साहू को अपना अध्यक्ष सीट से हांथ धोना पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान हुआ तो वही टिकेश्वरी के पक्ष में सिर्फ 5 वोट पड़े। जबकि कांग्रेस के 7 पार्षद यहां हैं। यानी बात साबित हो गई कि क्रॉस वोटिंग के जरिए उसे सीट गंवाना पड़ा। शुरुआत में चुनाव हुए थे तो भाजपा के 8 और कांग्रेस के 7 पार्षद थे। फिर भी विधायक संगीता सिन्हा और पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा के कुशल चुनावी रणनीति के चलते कांग्रेसी समर्थित प्रत्याशी टिकेश्वरी साहू को अध्यक्ष बनाने में सफलता पाई गई थी। लेकिन चुनाव जीतने के उपरांत भी टिकेश्वरी कांग्रेस संगठन से मिलकर नहीं चल पाई। लगातार कांग्रेस विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रही। जिसके चलते उनका कुछ हफ्ते पहले ही पार्टी से निलंबन हो गया था।
यानी कह सकते हैं कि सीट गंवाने पर कांग्रेस को इससे कोई नुकसान महसूस नहीं हुआ। तो वहीं भाजपाइयों ने भी इसे सत्य की जीत बताई। भाजपा पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव जीतने के बाद कहा कि हमने पहले भी अध्यक्ष द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं के संबंध में शिकायत की थी। लगातार आर्थिक गड़बड़ी यहां के निर्माण कार्य में की जा रही थी। तो वहीं कुछ पार्षदों ने तो एसटीएससी थाने में अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत की थी। उन पर अभद्रता का भी आरोप लगाया गया था।
राजनीति की चर्चा दिनभर
कांग्रेस से निष्काषित
गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ।
27 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा पार्टी से निष्काषित नगर पंचायत गुरूर की अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ। जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 10 जबकि विपक्ष में 5 मत पड़े। इस तरह टिकेश्वरी साहू को सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के दिशा निर्देश को दरकिनार करने का खामियाजा भुगतते हुए नगर पंचायत के अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा। इस परिणाम की दिन भर जिले भर में चर्चा होती रही। खास बात यह है कि जिस भाजपा पार्षदों को अध्यक्ष ने कुछ महीने पहले अपने काउंसिल तक में शामिल कर लिया था। वह भी उनका साथ नहीं दिया। यानी अध्यक्ष किसी के साथ पटरी नहीं बैठा पाई और अंततः दोनों पक्ष ने मिलकर उन्हें कुर्सी से अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उतार फेंका।