गंवई गांव के संस्कृति मे छुपा है अनूठा भारतीय त्योहार की मूल पारंपरिक परंपरा

डौडीलोहारा । विकासखंड अंतर्गत वनांचल ग्राम रेंगाडबरी मे धूमधाम से मनाया गया मड़ई।

छत्तीसगढ की पारंपरिक संस्कृति की सांस्कृतिक सम्पन्नता के जीवन्त उत्सव है मड़ई।

मड़ई महोत्सव जो पुरखा गोत्र के दर्शन और पुरखा शक्ति की समृद्ध परंपरा व संस्कृति को दर्शाता है। इसे प्रतिवर्ष देवी-देवताओ के सेवा सम्मान व पेन करसाड मे मंड़ई महोत्सव मनाया जाता है।

मड़ई महोत्सव मे दिखे जाने वाला डांग, मंड़ई, लाठी, बाना सिरहा, बैगा, गायता, पुजारी मे देवी देवता का शक्ति निहित होता है।

मड़ई बिहा कर घर वापसी मे मातृशक्तियो द्वारा आरती लिया जाता है। वास्तव में मंड़ई महोत्सव मे सामिल होकर गवाह बनने वाला एक अनूठा भारतीय त्योहार है। सौहार्दपूर्ण शांतिपूर्वक भाईचारे से मंड़ई महोत्सव मनाया गया

और रात को लोक नृत्य नाचा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर युवाओ ने बढचढकर हिस्सा लिए, बुजुर्ग बुध्दिजीवी सियान ने पारंपरिक ढंग से देव मंड़ई का रीति नीति सम्पन्न किये। ग्राम के सरपंच,पटेल, सिरहा, बैगा, गायता,गणमान्य नागरिक एवं समस्त ग्रामवासी के उपस्थिति के साथ साथ आस पास गांव के पहुना निमंत्रण मे भारी संख्या मे पहुना अतिथि सगा सम्बंधी उपस्थित रहे और गांव के मंड़ई व नाचा का आनंद लिए।

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