मुख्यमंत्री का बेसब्री से इंतजार कर रही है यह बेटी, वीडियो बनाकर बोली- जल्दी आबे “कका” में अगोरा में बैठे हों..
सुप्रीत शर्मा/ कमलेश वाधवानी, बालोद। इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें एक बच्ची मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को “कका” कहकर संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ी में बोल रही है- हमर गांव जगन्नाथपुर जल्दी आबे, कका। में तोर अगोरा में बैठे हों।
इसका हिंदी अर्थ है आप जल्दी हमारे गांव जगन्नाथपुर आइए। मैं आपके इंतजार में बैठी हूं। यह मासूमियत से भरी अपील ग्राम जगन्नाथपुर , बालोद ब्लाक की रहने वाली 3 साल की वैष्णवी यादव ने की है।
जिनका पिछले माह एक और वीडियो सामने आया था जिसमें वह एक जगह आत्मानंद स्कूल से संबंधित पोस्टर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तस्वीर को देखकर पहचान लेती है और कौन है पूछने पर कका होने की बात कहती है। इस वीडियो को छत्तीसगढ़ में काफी सराहा गया। तो वही लाखों लोगों ने देखा और शेयर भी किया। 3 साल की ये बच्ची मुख्यमंत्री से मिलने का सपना लिए बैठी है। वह अपने कका का बेसब्री से इंतजार कर रही है। शायद अब इंतजार भी खत्म हो जाएगा। क्योंकि कुछ दिनों में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बालोद जिले में मुख्यमंत्री का आगमन होना है। यह संयोग ही है कि जिस गांव में वैष्णवी रहती है उसी गांव में मुख्यमंत्री का आगमन प्रस्तावित है। शासन-प्रशासन गांव में तैयारी में जुटा हुआ है। ऐसे में इस बच्ची की बेताबी और बेसब्री और बढ़ गई है। वह काफी उत्साहित है और अपने कका से मिलने को आतुर है।
इस बेटी के नाम से माता-पिता बांटते हैं गांव में दिवाली पर दीपक
ज्ञात हो कि यह वही बेटी है जिसके नाम से यादव परिवार द्वारा जगन्नाथपुर में 200 से अधिक परिवारों को हर साल दिवाली पर पांच-पांच मिट्टी के दीपक वितरण किए जाते हैं। पिता दीपक यादव, माता माधुरी, दादी मधुबाई ने बताया ऐसा करने का उद्देश्य “बेटी है तो कल है” थीम पर दिवाली मनाना होता है। बेटियों के सम्मान में ऐसा किया जाता है। हर आंगन में रंगोली सजाकर बेटियों के सम्मान में दिवाली पर दीए जलाए जाते हैं। इस परिवार में 14 जून से जन्मी वैष्णवी को जब प्रसव के बाद अस्पताल से घर लाया गया तो लक्ष्मी स्वरूप मानकर आरती उतारकर गृह प्रवेश कराया गया था तो वहीं नामकरण संस्कार पर भी बेटी की ओर से पत्र निमंत्रण पत्र जारी कर बेटियों को बढ़ावा देने का एक सकारात्मक संदेश दिया गया था।
बेटी, बेटा में फर्क दूर करना हमारा मकसद
पिता दीपक यादव ने बताया कि उनके व उनके परिवार की सोच बेटी, बेटा में फर्क दूर करना है। आमतौर पर देखा जाता है कि जब परिवार में बेटी का जन्म होता है तो बेटे की तुलना में कम खुशियां मनाई जाती है।लोग उदास से रहते हैं।बच्चा पैदा होने से पहले लोग बेटे की चाह लिए बैठे रहते हैं और जब बेटी होती है तो उनकी चाहत पूरी नही होती और निराशा महसूस करते हैं। लेकिन उनके यहां ऐसा नहीं होता। उनके परिवार में बेटी आने पर ज्यादा खुशियां मनाई गई ताकि समाज में जो बेटी बेटा को लेकर अंतर है वह दूर हो। दोनों के पैदा होने पर बराबर खुशियां मनाई जाए। देश में लोगों का नजरिया बदलने की कोशिश उनके द्वारा किया जा रहा है। आज वैसे भी हर क्षेत्र में बेटियां आगे आ रही है। बेटों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। हमें बेटियों को इसी तरह आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने सभी से बेटियों को बढ़ावा देने उनका हौसला बढ़ाने की अपील की है।