जिले में हाथियों ने दी है फिर से दस्तक और इधर वन कर्मचारी चले गए हड़ताल पर
तेंदूपत्ता संग्रहण भी होगा प्रभावित, सरकार पर कर्मचारियों ने लगाया मांगों की अनदेखी का आरोप, पढ़िए पूरी खबर
बालोद। जिले में एक बार फिर हाथियों ने दस्तक दी है और वे खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जंगलों से लगे हुए गांव में भी उत्पात मचा रहे हैं तो इस बीच वन विभाग के कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। सोमवार से उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है। इससे विभाग की प्रशासनिक व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। जिसका खामियाजा वन विभाग से जुड़े लोगों को भुगतना पड़ सकता है तो वहीं जनता को, जिनकी सेवा वन विभाग पर टिकी रहती है खासतौर से वन्य जीवो से जनता की रक्षा करना, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की अहम जिम्मेदारी होती है। बता दें कि हाल ही में एक बार फिर बालोद जिले में हाथियों का उत्पात चल रहा है। इस बीच कर्मचारियों की हड़ताल में चले जाने से जहां हाथियों की नियंत्रण व्यवस्था को प्रभावित होगी। वहीं आगामी गर्मी के दिनों में होने वाले तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में भी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने में कर्मचारी संघ की भूमिका अहम होती है। पर खुद कर्मचारी शासन प्रशासन पर अब अनदेखी का आरोप लगाकर हड़ताल पर बैठ गए हैं। छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के प्रांतीय आह्वान पर वन कर्मियों के 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल में वन मंडल बालोद के अंतर्गत बालोद काष्ठागार डिपो प्रांगण में वन कर्मियों का धरना प्रारंभ हो चुका है। धरना स्थल में बालोद जिले के सभी वन परिक्षेत्र के अधिकारी-कर्मचारी लगभग 200 की संख्या में उपस्थित रहे। अपनी जायज मांगों के समर्थन में नारेबाजी किया गया।
ये सब होगा प्रभावित
कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से वनों की सुरक्षा प्रभावित होगी, साथ ही वर्तमान में पतझड़ ग्रीष्म ऋतु में आगजनी (अग्नि) आदि घटनाओं का भी प्रभाव रहता है, जिससे वन व वन्यप्राणी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा व शासन को कई प्रकार की नुकसानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही आगामी तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य भी होना है ऐसी परिस्थिति में शासन को गंभीर परिणामों से जूझना होगा। जिसके दुष्परिणाम भी होंगे। वन कर्मचारी संघ द्वारा अपने 12 सूत्रीय मांगों के संबंध में पूर्व से विभाग, शासन – प्रशासन को अवगत कराते हुए निराकरण का अनुरोध किया गया था किंतु निराकरण नहीं होने की स्थिति में दिनांक सोमवार से हड़ताल का रास्ता अख्तियार किया गया है।
धरने में ये रहे मौजूद
धरना स्थल पर प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य राजेश उपाध्याय, रूपराम ठाकुर, जिलाध्यक्ष कृष्णापुरी गोस्वामी, जिला महामंत्री राजेंद प्रसाद अवस्थी, संगठन मंत्री डामण ठाकुर, अजय अस्टिकर, वासुदेव गंधर्व, जिला सचिव गजेंद्र जोशी एवं समस्त ब्लॉक अध्यक्ष व कार्यकारिणी सदस्यगण उपस्थित रहे।
अभी यहां हाथियों की मौजूदगी
हाथी की मौजूदगी गुरुर ब्लाक में है। 21 मार्च की स्थिति मेंहाथी की संख्या 18 – 20 है। जो कक्ष क्रमांक आर एफ 33 जंगली भेजा परिसर में घूम रहे। जो कि सहायक परिक्षेत्र बडभूम,परिक्षेत्र – गुरुर व वनमण्डल – बालोद में आता है। विभाग ने ग्राम जंगलीभेजा, बडभूम, कंकालिन्, गोटाटोला, मरकटोला,मुजालगोंदी को अलर्ट ग्राम घोषित किया है।
जानिए क्या है उनकी मांग
- पदनाम के साथ ही वन रक्षक का वेतनमान वर्ष 2003 से 3050 किया जाए।
- वनरक्षक, वनपाल का वेतनमान मांग अनुसार किया जाए।
- पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
- छत्तीसगड़ राज्य गठन के पश्चात नाय सेटअफ पुनरीक्षण किया जाए
- महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000 रुपये, पैस्टिक आहार और वर्दीभत्ता दिया जाए
- पदनाम वर्दी हेतु संबंधित नाम अन्य पहचान निर्धारण आदेश जारी किया जाए
- वनोपज संघ के कार्य हेतु एक माह अतिरिक्त वेतन दिया जाए
- काष्ठ वनोपज प्रदाय से कमी मात्रा की वसूली निरस्त किया जाए
- विभागीय पर्यटन स्थल में वन कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्ति वन कर्मचारियों को नि: शुल्क प्रवेश दिया जाए।
- वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन किया जाए। वनपाल प्रशिक्षण केन्द्र कोनी (बिलासपुर) प्रारंभ किया जाए।
- भृत्य, वानिकी चौकीदार का समायोजन किया जाए।
- दैनिक वेतन भोगी श्रमिको को नियमित किया जाए।