जच्चा-बच्चा मौत पर बड़ा सवाल-क्या जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को हटाना ही है इस समस्या का हल? क्योंकि कई तरह की है शिकायतें, रात में प्रसव वार्ड में नहीं रहते डॉक्टर, सफाई कर्मचारियों से लगाए जाते हैं सुई
बालोद। जिला अस्पताल में पिछले दिनों पारागांव की महिला की प्रसव के दौरान मौत व गर्भ में 2 बच्चों की मौत के मामले में गंभीर लापरवाही व अस्पताल की अन्य व्यवस्था में खामी के चलते कलेक्टर ने सिविल सर्जन डॉक्टर बीएल रात्रे को हटाकर एसएस देवदास को प्रभारी सिविल सर्जन बना दिया है। लेकिन सवाल यही है कि क्या सिविल सर्जन पर यह कार्यवाही करके इस समस्या का हल निकाला जा सकता है?क्योंकि यहां खामियां तो ढेरों है। जिनका निराकरण सिर्फ प्रभार बदल दिए जाने से शायद ही हो पाएगा। प्रसव वार्ड में कई तरह की शिकायतें हैं पिछले दिनों की घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद कई पीड़ित भी सामने आ रही है। जो यहां की अव्यवस्था की शिकार हुई है।
नाम प्रकाशित न करने की शर्तों पर कई महिलाओं ने यहां की लापरवाही की पोल खोलते हमें मैसेज डाले हैं। कई महिलाओं की शिकायत है कि प्रसव वार्ड में रात को डॉक्टर ही नहीं रहते हैं। नर्स भी ठीक से सेवा नहीं देते हैं। इमरजेंसी में उन्हें रात में उठाने के लिए जाओ तो भी ध्यान नहीं देते हैं। एक महिला जिनकी 2 माह पहले ही प्रसव हुई हैं उन्होंने तो यहां तक कहा है कि नर्स तक सुई नहीं लगाते और वहां मौजूद सफाई कर्मचारियों को सुई लगाने कहा जाता है। उन्हें भी एक सफाई कर्मचारी ने सुई लगाया। इस दौरान कर्मचारी के हाथ से सुई गिर गई। जिससे महिला के शरीर से काफी खून बह गया। ऐसे और भी कई तरह की लापरवाही यहां सामने आती रहती है।
डॉक्टर नहीं होने का डॉक्टर ही उठा रहे फायदा
ज्ञात हो कि शासन द्वारा डॉक्टरों की नियुक्ति पर्याप्त न किए जाने के चलते जो डॉक्टर भी वर्तमान में सेवा दे रहे हैं वहीं अपनी सेवा का फायदा भी उठा रहे हैं। जिला अस्पताल के कुछ डॉक्टरों को ही छोड़कर अधिकतर डॉक्टरों के रवैया ठीक ना होने की शिकायतें पहले भी आ चुकी है। कई बार सिविल सर्जन बदलते गए। स्टाफ नर्स को व्यवहार सुधारने के निर्देश भी देते गए। लेकिन हालात आज भी नहीं बदले हैं। हालांकि वर्तमान जिला कलेक्टर जनमेजय महोबे इस दिशा में प्रयासरत हैं कि यहां की व्यवस्था सुधारी जा सके और उन्होंने सिविल सर्जन बदलकर व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास शुरू किया है। कलेक्टर के मुताबिक यह कार्यवाही लगातार लापरवाही के कारण की गई है। मामले की जांच की गई। जिसमें कई तरह की लापरवाही सामने आई थी। इसलिए रात्रे को हटाया गया है। व्यवस्था कैसे सुधरे इसके अन्य उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
अस्पताल प्रबंधन को लेकर सख्ती दिखाई जा रही है। सफाई व्यवस्था को लेकर जहां लगातार निर्देश दिए गए हैं। जिसको लेकर जुर्माने का नियम लागू कर दिया गया है। यहां पान गुटखा के जरिए गंदगी फैलाने पर ₹200 जुर्माना लिया जाएगा। इसमें किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों को भी ठीक से काम करने की हिदायत दी गई है। अगर वे काम नहीं करते हैं उन्हें संबंधित ठेका कंपनी द्वारा हटाने का भी निर्देश है। अब देखने वाली बात होगी कि लगातार मौतों पर किस तरह का मरहम प्रशासन लगाता है। क्या व्यवस्था यहां सुधर पाएगी या किसी दिन इसी तरह की घटना फिर सामने आएगी। जो स्वास्थ्य सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर जाएगी।