सीएम की घोषणा – तीन वर्ष से अधिक आयु समूह के छोटे बच्चों के लिए संचालित होगी बालवाड़ी,कक्षा नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों को प्रदान की जाएगी रोजगारोन्मुखी शिक्षा
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा का विजन डॉक्यूमेंट 2030 प्रस्तुत करते हुए की तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं
रायपुर – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन बालदिवस के अवसर पर आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा का विजन डाक्यूमेंट 2030 के तहत तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की तर्ज पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप विद्यालय संचालित किए जाएंगे। तीन वर्ष से अधिक आयु समूह के छोटे बच्चों के लिए बालवाड़ी का संचालन कर उन्हें पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाएगी और कक्षा नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान की जाएगी ताकि बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किसी विधा विशेष में हुनर अर्जित कर सकें।श्री बघेल ने कहा कि इस वर्ष हाई स्कूल के विद्यार्थियों के लिए हाई स्कूल की शिक्षा के साथ कुछ स्कूलों में चुनिंदा ट्रेडों में आईटीआई के प्रशिक्षण की शुरूआत कर दी गई है। इस पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को 12वीं की परीक्षा पास करने पर 12वीं के साथ आईटीआई का प्रमाण पत्र भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रारंभ किए गए इस पाठ्यक्रम में 8000 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर और पंडित नेहरू के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री शशि थरूर और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री दिनेश सिंह ने वीडियो संदेश के माध्यम से शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित ’विजन 2030’ पुस्तिका, ’छत्तीसगढ़ की विभूतियां’, ’छत्तीसगढ़ राजगीत के कैलेण्डर’, ’स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और पढ़ई तुंहर दुआर योजना की कॉफी टेबल बुक’, ’स्कूलिंग फॉर एक्सीलेंस’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने राजधानी रायपुर में आज से शुरू हुए राष्ट्रीय शिक्षा समागम में शामिल हो रहे शिक्षाविदों, विद्वानों, शिक्षकों और विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय शिक्षा समागम के दौरान पिछले 75वर्षों में बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में क्या कार्य किए गए और उनमें क्या कमी रह गई। बच्चों की शिक्षा के लिए और बेहतर क्या किया जा सकता है, हम किस दिशा में आगे बढ़े, इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस समागम में 27 राज्यों से आए प्रतिनिधियों से छत्तीसगढ़ को भी काफी कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत में प्रारंभ से ही शिक्षा का विशेष महत्व रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों और मनीषियों का शिक्षा के प्रति विशेष आग्रह रहा। उन्होंने महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भारत में अंग्रेजी और विज्ञान की शिक्षा प्रारंभ करने के लिए आंदोलन शुरू किया था, जिससे भारतीय विद्यार्थी दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ खड़े हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी ने बुनियादी शिक्षा की शुरूआत की थी और पंडित नेहरू ने अनेक शिक्षा संस्थानों की शुरूआत की थी।