नागाडबरी में तालाब के बजाय कुएं में होता है जवारा विसर्जन, इस बार भी ग्रामीणों ने निभाई परंपरा

बालोद। नवरात्रि व दशहरे में कई गांव में इसके आयोजन की कुछ अलग ही खासियत होती है। आमतौर पर जिस तरीके से आयोजन होता है उससे हटकर कुछ अलग आयोजन गांव को एक नई पहचान देते हैं। ऐसी एक पहचान है नागाडबरी की। जहां जोत जवारा विसर्जन नवरात्रि के अंतिम दिन तालाब के बजाय कुए में होता है। अन्य गांव में जोत जवारा यात्रा निकालकर तालाब में विसर्जन होता है। पर यहां कुए में ही विसर्जन किया जाता है। 15 अक्टूबर शुक्रवार को उक्त विसर्जन किया गया। ग्राम नागाडबरी में माता शीतला का जोत जंवारा का विसर्जन किया गया। शीतला मंदिर में जोत जंवारा का स्थापना किया गया था। गांव के सियान ने बताया कि पुराने शीतला मंदिर का जीर्णोद्धार कर ग्राम वासियों के सहयोग से मंदिर का नव निर्माण किया गया है। इस कारण इस नवरात्रि में ज्योति कलश स्थापित कर नौ दिनों तक पूजन किया गया ।

जंवारा विसर्जन से जुड़ी है रोचक कहानी

गांव की मान्यता अनुसार माता शीतला का जंवारा तालाब में विसर्जन नहीं होता। बल्कि ग्राम की सबसे पुरानी कुंआ में विसर्जन किया जाता है। ग्राम में यह चितावर कुंआ के नाम से जाना जाता है। ग्राम बसने के समय इस कुंआ का निर्माण कराया गया था। इस कुंआ में एक नागदेव भी वास करते हैं। जो कि समय समय पर आस्था से दिखाई देते हैं। जब भी शीतला में जोत जंवारा रखा जाता है तब भी मान्यता अनुसार विसर्जन कुंआ में ही किया जाता है। पहले समय में पूरा गांव इसी कुए का पानी पीते थे। पर आज यह आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस अवसर पर जीवन लाल साहू,रविकांत यादव,फागूराम सोनवानी,फत्तेराम साहू,केवल साहू ,राहूल साहू , मिलाप साहू जगजीवन साहू , देवनारायण साहू , कोमल साहू , देहार राम साहू , मूलचंद साहू मौजूद रहे।

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