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छग के मजदूरों व मालिक ने नवी मुंबई में मनाई विजयादशमी, संस्कृति बचाने का दिया संदेश

बालोद। विजयादशमी पर शस्त्रों व निर्माण सामग्रियों के साथ अन्य चीजों की पूजा भी संस्कृति सभ्यता का हिस्सा है। इस संस्कृति व सभ्यता को सहेजने के लिए बालोद जिले से छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि महाराष्ट्र के मुंबई में जाकर अपनी आजीविका चला रहे 100 से ज्यादा मजदूरों व मालिक विजयादशमी पर अपने सहयोगी मशीनों व सामग्री की पूजा करते संस्कृति बचाने का एक अनोखा संदेश दिया। अपने सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखते हुए सनातन धर्म और परंपरा को चलाते हुए भाईचारा बनाते हुए एक दूसरे के सहयोग करते हुए उक्त आयोजन हुआ। काजल इंटरप्राइजेस के अंतर्गत बालोद सहित छत्तीसगढ़ से कई जिले से 100 मजदूर तो वही अन्य राज्यों से भी करीब 100 मजदूर, कुल 200 मजदूर यहां काम करते हैं। काजल इंटरप्राइजेज के संचालक बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम सिर्राभांठा के रहने वाले राजेश कुमार सिन्हा ने युवाओं को मुंबई में रोजगार दिया है। नवी मुंबई में उनका काम चलता है। संयुक्त रूप से मालिक और मजदूरों ने मिलकर विजयादशमी मनाई। निर्माण सामग्रियों की पूजा की गई तो वही अपने-अपने वाहनों की भी पूजा की गई। ये संदेश दिया गया कि उनके बगैर विकास अधूरा है।

ज्ञात हो की विजयादशमी सिर्फ असत्य पर सत्य की जीत पर यानी रावण के पुतला दहन तक सीमित नहीं है। बल्कि इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा का भी विधान है। इस परंपरा को जीवंत करते हुए महाराष्ट्र में छत्तीसगढ़ वासियों ने विजयदशमी मनाया। महा प्रसादी व भोजन का भी आयोजन रखा गया था। तो साथ ही नवी मुंबई के कई गरीबों को फल वितरण भी किया गया। आयोजन में विशेष अतिथि के रुप में मयूर भाई पटेल, हेमंत पटेल, प्रशांत शशि, शैलेश भाई,आशीष भाई, संजय भाई, निमेष भाई, राजू भाई, चंदू भाई, रवि मौजूद थे। आयोजन में काजल इंटरप्राइजेज के प्रमुख राजेश कुमार सिन्हा सहित योगेश कुमार साहू गणेश साहू कोमल यादव कमलेश सिन्हा तरुण पटेल मनहरण साहू, कमलेश निषाद, मोहन भानु, मुन्ना चंदन, राम श्रेणी, डोमन, दामन, जितु देवचरण तरूण योगेश हेमंत मनहरण भानू नीलांबर नेतराम ओम प्रकाश ओम कालू राजू और मनु मनबोध डोमन सुरेश भुनेश्वर भूषण तुलेश्वर,जोगेश्वर मोहन गणेश प्रति,नरेंद्र मीठी निखिल डोमार दौलत रेणु,मदन, हेमराज, दुरतो रमेश आदि की भागीदारी रही। ज्ञात हो कि राजेश सिन्हा द्वारा बालोद जिला ही नहीं बल्कि छग क्षेत्र के कई इलाकों के अलावा महाराष्ट्र में भी सेवा व नेक कार्य किए जा चुके हैं। जरूरतमंदों की मदद करके उन्हें काफी सुकून मिलता है। वे भी कभी एक मजदूर थे और आज कई मजदूरों के मालिक हैं। संघर्ष के चलते उन्हें सफलता मिली। राज्य छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के गरीब तबके के करीब 200 युवाओं को रोजगार दे रहे हैं।

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