व्यवस्थित दिनचर्या में टीका है स्वस्थ शरीर का आधार चिटौद प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों ने ली कृमिरोधी दवा
बालोद/गुरुर। हमारा स्वास्थ्य हमारे दैनिक खान-पान, रहन-सहन, आसपास के वातावारण के अनुसार अपने आप को अनुकूलित करते रहता है | किसी भी रूप में थोड़ी-सी भी लापरवाही से हम अस्वस्थता जैसी स्थिति से सामना करते हैं | विशेषकर बच्चों के शरीर में अव्यवस्थित या विपरीत आहार-विहार से तात्कालिक रूप से परिवर्तन नजर आते हैं | अतः उन बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल व सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है | सहायक शिक्षक ईश्वरी कुमार सिन्हा ने बताया कि इसी कड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरूर के संयोजन में उपस्वास्थ्य केंद्र चंदनबिरही के अंतर्गत आश्रित ग्राम चिटौद के शासकीय प्राथमिक शाला में कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत उपस्थित विद्यार्थियों को एल्बेन्डाजोल की दवा खिलाई गई | वर्तमान में विद्यालय की दर्ज संख्या 196 है |
कृमि बन सकता है कई अन्य रोगों का वाहक –नीलकमल
ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक नीलकमल सिन्हा ने कक्षाओं में जाकर बच्चों से दवाई लेने के बाद की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की | किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर अपने आसपास के मितानीन से संपर्क करने का मार्गदर्शन भी दिया |
सिन्हा के अनुसार कृमि रोग के लक्षण हैं :
अनायास मिचली या उल्टियां होना, दस्त लगना, पेट दर्द होना आम लक्षण हैं, बच्चे दुबले और कमजोर हो जाते हैं, ये कीड़े कभी-कभी उल्टी में मुंह अथवा नाक अथवा मल द्वार से बाहर भी निकल सकते हैं, कुछ बच्चे या बड़े कृमि रोग के कारण दमा जैसे लक्षणों अर्थात् सांस फूलना, खांसी आना इत्यादि के शिकार हो जाते हैं, कई एलर्जी के लक्षण उत्पन्न करते है ।
स्वच्छता व उचित खान-पान से कर सकते हैं बचाव – स्वास्थ्य अधिकारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरूर के डॉ.जी.आर. रावटे खंड चिकित्सा अधिकारी, के.आर.उर्वसा खंड प्रशिक्षक अधिकारी, कर्मचारियों एवन काहिरा सेक्टर सुपरवाइजर ने इस संक्रामक रोग से बचने के लिए बताया कि सब्जियां और फलों का उपयोग खूब अच्छी तरह धोकर करें, सब्जियों को दो-तीन बार पानी में डुबोकर अच्छी तरह साफ करना चाहिये, उन्हें नल की तेज धार के नीचे साफ करें | मांसाहारी लोगों को चाहिये कि वे सुअर व गाय के मांस से बचें तथा कम पका या अधपका मांस भी न खाएं । स्वच्छ पानी ही पियें, इसके लिये फिल्टर का उपयोग करें या आवश्यकतानुसार पानी को उबालकर पीनी चाहिये । घरों में मल एवं गंदगी के निकास की उचित व्यवस्था करवाएं। जहां तक संभव हो शौचालय कुछ अलग स्थान में रखने चाहिए । कुंओं और जलाशयों की नियमित सफाई आवश्यक है । ऐसे स्थानों के पास अथवा खेत इत्यादि में शौच क्रिया न करें । चिकित्सक की सलाह पर वर्ष में एक या दो बार कृमिनाशक दवाइयों का सेवन भी किया जा सकता है ।
स्थानीय स्कूली कर्मचारी व समुदाय का मिला सहयोग
- इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में विद्यालय के प्रभारी प्रधानपाठक जगतारण कतलाम, निशा चौहान, शुची साहू, कोमिन साहू, लिकेश्वरी मार्कंडेय, कविता सिन्हा, राजेश्वरी पंचान्गम, गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सोनबती ध्रुव, भारती निषाद, हेमलता मार्कंडेय, श्यामा साहू, चन्दनबिरही में सरस्वती साहू, अमीन साहू, श्यामतराई के युवा परमानन्द साहू, छत्तीसगढ़ रक्तदान के संयोजक मोहन रजक इत्यादि की भी महत्वपूर्ण सहभागिता रही |